सावित्री बाई फुले

विकिसूक्ति से
  • स्वाभिमान से जीने के लिए पढ़ाई करो, पाठशाला ही इंसानों का सच्चा गहना है।
  • तुम बकरी गाय को सहलाते हो, नाग पंचमी पर नाग को दूध पिलाते हो, लेकिन दलितों को तुम इंसान नही अछूत मानते हो।
  • इस धरती पर ब्राह्मणों ने खुद को स्वघोषित देवता बना लिया है।
  • पत्थर को सिंदूर लगाकर और तेल में डुबोकर जिसे देवता समझा जाता है, वह असल मे पत्थर ही होता है।
  • अगर पत्थर पूजने से बच्चे होते तो नर नारी शादी ही क्यों रचाते।
  • अज्ञानता को तुम पकड़ो, धर दबोचो, मजबूती से पकड़कर उसे पिटो और उसे अपने जीवन से भगा दो।
  • गरीबों और जरूरतमंदों के लिए हितकारी और कल्याणकारी कार्य शुरू किए है, में अपने हिस्से की जिम्मेदारी भी निभाना चाहती हूं, में आपको यकीन दिलाती हूं कि में आपकी हमेशा सहायता करुँगी, में कामना करती हूं कि ईश्वरीय कार्य अधिक लोगों की सहायता करेंगे।
  • जाओ जाकर पढ़ो लिखो, मेहनती बनो, आत्मनिर्भर काम करो, ज्ञान और धन एकत्रित करो, ज्ञान के बिना सब खो जाता है, ज्ञान के बिना हम जानवर बन जाते है इसलिए खाली मत बैठो, जाओ जाकर शिक्षा लो।
  • ब्राह्मणवाद केवल मानसिकता नही, एक पूरी व्यवस्था है जिससे धर्म के पोषक तत्व देव-देवता, रीति-रिवाज, पूजा-अर्चना आदि गरीब दलित जनता को अपने में काबू में रखकर उनकी तरक्की के सारे रास्ते बंद करते है और उन्हें बदहाली भरे जीवन में धकेलते आए है।
  • छत्रपति शिवाजी को सुबह शाम याद करना चाहिए, शुद्र अतिशूद्र के हमदर्द उनका गुणगान प्यारी भावना से करें।
  • एक सशक्त शिक्षित स्त्री सभ्य समाज का निर्माण कर सकती है, इसलिए उनको भी शिक्षा का अधिकार होना चाहिए।
  • बेटी के विवाह से पहले उसे शिक्षित बनाओ ताकि वह आसानी से अच्छे बुरे में फर्क कर सके।
  • शिक्षा स्वर्ग का द्वार खोलता है, स्वयं को जानने का अवसर देता है।
  • स्त्रियां केवल घर और खेत पर काम करने के लिए नही बनी है, वह पुरुषों से बेहतर कार्य कर सकती है।
  • देश में स्त्री साक्षरता की भारी कमी है क्योंकि यहां की स्त्रियों को कभी बंधन मुक्त होने ही नही दिया गया।