सार
दिखावट
- अनन्तशास्त्रं बहुलाश्च विद्याः अल्पश्च कालो बहुविघ्नता च।
- यद्सारभूतं तदुपासनीयं हंसो यथा क्षीरमिवाम्बुमध्यात्॥ -- चाणक्य
- शास्त्र अनन्त हैं, विद्याएं ढेरी सारी, समय अल्प और विघ्न हजार। (ऐसे में) जो सारभूत है वही वरेण्य है, जैसे हंस दूध को पानी से अलग करके पी जाता है।
- साधू ऐसा चाहिये जैसा सूप सुभाय ।
- सार सार को गहि रहे थोथा देय उड़ाय ॥ -- कबीरदास