शुभकामना

विकिसूक्ति से

शुभकामना मन्त्र सबके कल्याण की अभिव्यक्ति के लिए होते हैं । हमारे मन में किसी के प्रति द्वेष न हो। अशुभ चिन्तन किसी के लिए भी न करें । जिनसे संबंध कटु हो गये हों, उनके लिए भी हमें मङ्गल कामना ही करनी चाहिए । द्वेष-दुर्भाव किसी के लिए भी नहीं करना चाहिए । सबके कल्याण में अपना कल्याण समाया हुआ है । परमार्थ में स्वार्थ जुड़ा हुआ है- यह मान्यता रखते हुए हमें सर्वमङ्गल की लोककल्याण की आकांक्षा रखनी चाहिए । शुभ कामनाएँ इसी की अभिव्यक्ति के लिए हैं ।

शुभकामनाएँ[सम्पादन]

  • ॐ स्वस्ति प्रजाभ्यः परिपालयन्तां न्यायेन मार्गेण महीं महीशाः।
गोब्राह्मणेभ्यश्शुभमस्तु नित्यं लोकास्समस्तास्सुखिनो भवन्तु ॥
काले वर्षतु पर्जन्यः पृथिवी सस्यशालिनी।
देशोऽयं क्षोभरहितो निर्भयाः सन्तु मानवाः॥ -- लोकक्षेम मन्त्र
लोगों (प्रजा) का कल्याण हो। पृथ्वी के शासक पृथ्वी का उचित रूप से परिपालन करें। गायों और विद्वानों का सदैव​ शुभ हो। सभी लोग सुखी रहें। समय पर वर्षा हो, पृथ्वी अन्न से परिपूर्ण हो, यह देश​ विपत्तिरहित हो, और सभी मानव भयहीन हों।
  • सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः ।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःखभाग्भवेत्॥२॥
सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।

इन्हें भी देखें[सम्पादन]