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  • कबीरदास बंदऊ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि । महामोह तम पुंज जासु वचन रविकर निकर ॥ -- तुलसीदास राम नांव ततसार है ॥ -- कबीरदास कबीर सुमिरण सार है और...
    ८७ KB (६,२०८ शब्द) - १८:३३, ५ दिसम्बर २०२२