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  • कल्पना शक्ति में आपकी स्मृति को निखारने की अद्भुत क्षमता होती है। यह आपको क्षितिज से परे विचरने देती है। आपके याद रखने के लिए यह कई सारी कहानियों और चित्रों...
    ८ KB (६११ शब्द) - २१:००, १४ दिसम्बर २०२२
  • लखात॥ -- भारतेंदु हरिश्चंद्र अरुण यह मधुमय देश हमारा। जहाँ पहुँच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा॥ सरल तामरस गर्भ विभा पर, नाच रही तरुशिखा मनोहर। छिटका...
    २४ KB (१,७६६ शब्द) - १५:४३, ८ जून २०२४
  • नीलाम्बरा जलहरी में विराजमान महादेवजी, -- स्मृति की रेखाएँ उन्हें कोई नया क्षितिज मिल गया -- पथ के साथी पुरुष ने स्त्री के मातृ-रूप के सामने मस्तक झुकाया...
    ९ KB (६८० शब्द) - ११:०४, १६ दिसम्बर २०२४
  • परिवेष्टित कर दिया है। इस घेरे की रूढ़ियों को तोड़ा और तब देखो, इतिहास के क्षितिज पर कौन प्रकाशमान है ? -- रत्नाकर शास्त्री हिस्ट्री में कभी भी विचार विनिमय...
    १७ KB (१,२२७ शब्द) - १९:३८, १३ मई २०२२
  • कहा था। जब भी लोग इसका अनुसरण करते हैं और इसे उस तरह से देखते हैं, तो नए क्षितिज उभरने लगते हैं और एक नई दुनिया सामने आती है। आज कौन मसीह के मार्ग का अनुसरण...
    १२२ KB (८,४८५ शब्द) - २२:४६, २ सितम्बर २०२४
  • कुछ अधिक प्रिय और मिलनसार लगता है। शांत परिदृश्य में, और विशेष रूप से क्षितिज की दूर की रेखा में, मनुष्य कुछ हद तक अपनी प्रकृति के रूप में सुंदर दिखता...
    २३ KB (१,९२८ शब्द) - २०:५५, ५ नवम्बर २०२२
  • के पक्ष को समर्थन मिला है। -- डॉ. राजेन्द्र प्रसाद गांधी युग में भारतीय क्षितिज पर जो अनेक नेता प्रकट हुए उनमें श्री पुरुषोत्तमदास टण्डन अपनी निराली कान्ति...
    ५५ KB (४,१८२ शब्द) - १५:१०, १२ जून २०२४