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  • और कृष्ण की सौन्दर्य-भावना में मग्न होकर ऐसी मंगलदशा का अनुभव कर गये है, जिसके सामने कैवल्य या मुक्ति की कामना का कहीं पता नहीं लगता। -- आचार्य शुक्ल (चिंतामणि-भाग-1)...
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    १० KB (८७ शब्द) - २२:४८, १३ जुलाई २०२४