विद्याधर सूरजप्रसाद नैपाल

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विद्याधर सूरजप्रसाद नैपाल (वी एस नैपाल ; 17 अगस्त 1932 - 11 अगस्त 2018) भारत-नेपाल मूल के ब्रिटिश नागरिक थे। उनका जन्म त्रिनिनाद में हुआ और वहीं पले बढ़े। सन २००१ में उन्हें साहित्य का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया था।

उक्तियाँ[सम्पादन]

  • अन्ततः किसी लेखक की लिखी पुस्तकें ही लेखक नहीं हैं, बल्कि लेखक अपने मिथ से पहचाना जाता है। और वह मिथ दूसरे लोगों के पास रहता है। -- "Steinbeck in Monterey" (1970), in Daily Telegraph Magazine (3 April 1970), later published in The Overcrowded Barracoon, and other articles (1972)
  • एकमात्र झूठ जिसके लिए हमें वास्तव में दंडित किया जाता है, वह है जो हम स्वयं से कहते हैं।
  • अधिकांश लोग वास्तव में स्वतंत्र नहीं हैं। संसार में वे उस स्थान तक ही सीमित हैं जो उन्होंने स्वयं के लिये बनाया है। अपनी दृष्टि की संकीर्णता से वे खुद को कम संभावनाओं तक सीमित कर लेते हैं।
  • संसार वही है जो (दिखता) है। जो मनुष्य कुछ भी नहीं हैं और जो खुद को कुछ भी बनने नहीं देते हैं, इसमें उनके लिये कोई जगह नहीं है। -- ए बेंड इन द रिवर, वी.एस. नायपॉल

सन्दर्भ[सम्पादन]

==सन्दर्भ==