विकिसूक्ति:सूक्ति सुझाएँ
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सुझाव
[सम्पादन]- पूर्ण नहीं हुआ कृप्या पृष्ठ से जो सूक्ति डलवाना चाहते हैं, वो यहां स्रोत के साथ लिखें। सूरजमुखी (वार्ता) १३:११, २४ अगस्त २०२२ (IST)
चाणक्य का संदेश
[सम्पादन]- "वह जो अपने प्रियजनों से अत्याधिक जुड़ा हुआ है,उसे चिंता और भय का सामना करना पड़ता है,क्योंकि सभी दुखों का जड़ लगाव है.इसलिए खुश रहने के लिए लगाव छोड़ दीजिए।"
- "काम को निष्पादन करो, परिणाम से मत डरो।"
- "व्यक्ति अपने आचरण से महान होता है जन्म से नहीं।"
- "किसी को बहुत ईमानदार नहीं होना चाहिए। सीधे वृक्ष और व्यक्ति पहले काटे जाते हैं।"
- "भय को समीप न आने दो। यदि यह समीप आए, इस पर आक्रमण करो, यानी भय से भागो मत इसका सामना करो।"
- "सुगंध का प्रसार वायु की दिशा पर आधारित होता है पर अच्छाई सभी दिशाओं में फैलती है।"
- "शिक्षा सबसे अच्छी मित्र है। शिक्षित व्यक्ति सदैव सम्मान पाता है। शिक्षा की शक्ति के आगे युवा शक्ति और सौंदर्य दोनों ही दुर्बल हैं।"
- "अज्ञानी के लिए पुस्तकें और अंधे के लिए दर्पण एक समान उपयोगी है।"
- "बहादुर और बुद्धिमान व्यक्ति अपना रास्ता खुद बनाते हैं। असंभव शब्द का इस्तेमाल बुजदिल करते हैं।"
- "अपनी कमाई में से धन का कुछ प्रतिशत हिस्सा संकट काल के लिए हमेशा बचाकर रखें।"
- पूर्ण नहीं हुआ किसी का भी स्रोत नहीं दिया गया। सूरजमुखी (वार्ता) १३:१८, २४ अगस्त २०२२ (IST)
स्वामी विवेकानंद के विचार
[सम्पादन]- जब तक तुम स्वंय पर विश्वास नहीं करते,परमात्मा में विश्वास कर ही नहीं सकते.
- वचन देकर तिल भर भी उससे न डिगो| यही मानवता है नहीं तो तुम मानव वेश में पाखंडी हो|
- हर व्यक्ति को भगवान की तरह देखो आप किसी की मदद नहीं कर सकते. बस उसकी सेवा कर सकते हैं|
- उठो जागो और तबतक आगे बढते रहो जबतक तुम्हारा लक्ष्य प्राप्त नहीं हो जाता,,
- स्वामी विवेकानंद कहते है कि जब पड़ोसी भूखा मरता हो,तब मंदिर में भोग चढना पुण्य नहीं,बल्कि पाप है|
- जब तक जीना,तब तक सीखना'-अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है|
- हम वो हैं जो हमें हमारी सोच ने बनाया है.इसलिए इस बात का ध्यान रखिये कि आप क्या सोचते है.शब्द गौण है.विचार रहते है,वे दूर तक यात्रा करते हैं.
- " मेहनत जितना संर्घषमय होगा जीत इतनी ही शानदार होगी।"
- पूर्ण नहीं हुआ किसी का भी स्रोत नहीं दिया गया। सूरजमुखी (वार्ता) १३:१९, २४ अगस्त २०२२ (IST)
27 अप्रैल 2024
[सम्पादन]- मैं जीवन को आशावाद और उम्मीद के साथ देखने और एक बेहतर दिन की प्रतीक्षा करने की पूरी कोशिश करती हूं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि पूर्ण खुशी जैसी कोई चीज़ है। यह मुझे पीड़ा देता है कि अभी भी बहुत सी क्लान गतिविधि और नस्लवाद है। मुझे लगता है कि जब आप कहते हैं कि आप खुश हैं, तो आपके पास वह सब कुछ है जिसकी आपको ज़रूरत है और वह सब कुछ जो आप चाहते हैं, और इसके अलावा किसी और चीज़ के लिए इच्छा नहीं होती। मैं अभी उस मुकाम तक नहीं पहुंची हूं। — रोज़ा पार्क्स, "स्टैंडिंग अप फॉर फ़्रीडम" ("स्वतंत्रता के लिए खड़ा होना"), Academy of Achievement.org (2005-10-31) में उद्धृत
सूरजमुखी (वार्ता) १८:३६, २७ अप्रैल २०२४ (IST)
- पूर्ण हुआ, एक दिन तक कोई विरोध न आने पर स्वीकृत। सूरजमुखी (वार्ता) १६:३३, २९ अप्रैल २०२४ (IST)