वाल्टर बेंजामिन
वाल्टर बेंजामिन (15 जुलाई 1892 -- 26 सितम्बर 1940) जर्मनी के एक दार्शनिक, सांस्कृतिक आलोचक और निबंधकार थे। जर्मन आदर्शवाद, पश्चिमी मार्क्सवाद, और यहूदी रहस्यवाद के तत्वों को मिलाकर, बेंजामिन ने सौंदर्य सिद्धांत, साहित्यिक आलोचना एवं ऐतिहासिक भौतिकवाद के लिए स्थायी और प्रभावशाली योगदान दिया। उनकी मुख्य कृतियाँ ये हैं - इल्युमिनेशंस, द ओरिजिन ऑफ जर्मन ट्रेजिक ड्रामा, मास्को डायरी, चार्ल्स बॉदलेयर : ए लिरिक पोएट इन द एज ऑफ हाइ कैपिटलिज्म, अंडस्टेंडिंग ब्रेख्त, न्यु लेफ्ट बुक्स, रिफ्लेक्शंश, कॉरास्पोडेंस ऑफ वाल्टर बेंजामिन, वन वे स्ट्रीट एंड अदर राइटिंग्स, पेरिस आर्केड्स।
उक्तियाँ
[सम्पादन]- सभी मानव ज्ञान व्याख्या का रूप लेता है ।
- जीवन के वास्तविक अनुभवों से उपजी विमर्श ही असली विवेक है ।
- निरसता एक वैचारिक उम्मीद है जो अनुभवों को जन्म देती है। पत्तियों में सरसराहट उसे दूर ले जाता है ।
* हमें केवल उन लोगों के हितार्थ ही आशावादी होने का सौभाग्य प्राप्त है जो लोग आशा विहीन हैं ।
- प्रत्येक आवेश की सीमा अराजक है, किन्तु संग्रहणीय आवेश की सीमा अराजक की स्मृति है ।
- किसी व्यक्ति को जानने का एकमात्र तरीका है कि उसे बिना किसी उम्मीद के प्यार किया जाय ।
- कहानी कहने की कला अपने अंत तक पहुंच रही है क्योंकि सत्य का महा महासास्वत स्वरुप और प्रज्ञा मृत्युप्राय हो रहा है ।
- कैमरा हमें अचेतन दृष्टिविज्ञान से परिचय करवाता है जैसे कि एक मनोविश्लेषक हमें अवचेतन मनोवेग से हमरा परिचय करवाता है ।
- आलोचना की कला का संक्षेप: विचारों को धोखा दिए बिना सार्थक उद्बोधन करना है। एक अपूर्ण आलोचना विचारों को मात्र फैशन के लिए तैयार करने जैसा है ।
* ये ऐसे दिन हैं जब किसी को भी अपनी योग्यता पर अनावश्यक रूप से भरोसा नहीं करना चाहिए। मनोधर्म में ही शक्ति है। सभी निर्णायक प्रयासों को संदिग्धार्थकता से बाधित कर दिया जाता है ।