वर्जिल

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पब्लियस वर्जिलियस मारो (ईसापूर्व 15 अक्तूबर, 70 – से ईसापूर्व 21 सितम्बर, 19) रोम के कवि थे। इन्हें प्रायः 'वर्जिल' (Vergil) नाम से जाना जाता है। इनकी गिनती रोम के महानतम कवियों में की जाती है।

उक्तियाँ[सम्पादन]

  • डर लगने का अर्थ है कि मस्तिष्क पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ है।
  • वही लोग सफल होते हैं, जो जानते हैं कि वह सफल ही होंगे।
  • बाहरी सुन्दरता से प्रभावित होने की जरूरत नहीं है। यह स्थायी नहीं है।
  • जो लोग कठिनाइयों से संघर्ष करना जानते हैं, भाग्य उन्हीं के साथ होती है।
  • हर व्यक्ति सारे काम नहीं कर सकता।
  • आप ही खुद के साथ तुलना कर सकते हैं, कोई दूसरा नहीं।
  • बुरे समय को धैर्य और समझदारी से ही जीत सकते हैं।
  • वही व्यक्ति खुश रहना जानता है जो वस्तुओं और घटनाओं के होने का कारण जानता है।
  • जो अच्छा काम आप आज करेंगे, इसका फल आने वाली पीढ़ियों को मिलेगा।
  • हर व्यक्ति के सुख और दुख बिल्कुल अलग होते हैं।
  • ऐसा समय अवश्य आएगा जब आप कठिन समय को भी खुश होकर सुनाएंगे।
  • आज को संभाल कर रखिए, इसी से आने वाला समय सुन्दर बनेगा।
  • सबसे अच्छा समय, सबसे जल्दी बीत जाता है।