लुसी स्टोन

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लुसी स्टोन (13 अगस्त, 1818 - 18 अक्टूबर, 1893) १९वीं शताब्दी की अमेरिकी नारीवादी चिन्तक और कार्यकर्ता थीं। वे एक प्रखर वक्ता , उन्मूलनवादी और मताधिकारवादी थीं। वे नारियों को पुरुषों के बराबर अधिकार देने के लिये मुखर रहीं। वे स्वयं 1847 में, मैसाचुसेट्स से कॉलेज की डिग्री हासिल करने वाली पहली महिला बनीं। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिये तथा गुलामी के खिलाफ आवाज उठाई। अमेरिकी ईसाई नारियाँ अपने पति का कुलनाम (सरनेम) अपने नाम में जोड़तीं थीं, किन्तु स्टोन ने विवाह के उपरान्त अपने जन्म के नाम का ही उपयोग करती रहीं।

उद्धरण[सम्पादन]

  • हम, संयुक्त राज्य अमेरिका के लोग" जिसमें 'हम लोग' में नारियों को शामिल नहीं किया गया।
  • हम अधिकार चाहते हैं। आटा-व्यापारी, घर बनाने वाला और डाकिया हमसे (पुरुषों की अपेक्षा) कम नहीं लेते। लेकिन जब हम इन सभी का भुगतान करने के लिए पैसे कमाने का प्रयास करते हैं, तो वास्तव में, हम अंतर पाते हैं।
  • मैं केवल दासों के लिए नहीं, बल्कि हर जगह पीड़ित मानवता के पक्ष में बोलना चाहती हूँ, विशेष रूप से मुझे नारियों की उन्नति के लिए श्रम करना है।
  • उन्मूलनवादी होने से पहले मैं एक नारी हूँ। मुझे नारियों के लिए बोलना चाहिए।
  • नारियों के लिए शिक्षा का अधिकार और बोलने की आजादी प्राप्त की गई है। अब लंबे समय में हर अच्छी चीज प्राप्त होना निश्चित है।
  • अगर एक महिला ने स्क्रबिंग करके एक डॉलर कमाया, तो उसके पति को डॉलर लेने और उसके साथ नशे में धुत होने और बाद में उसे पीटने का अधिकार है। यह उसका डॉलर है।
  • महिलाएं बंधन में हैं; उनके कपड़े उनके किसी भी व्यवसाय में संलग्न होने में एक बड़ी बाधा हैं।
  • मुझे विश्वास है कि नारी का प्रभाव, किसी अन्य शक्ति से पहले इस देश को बचाएगा।