रामकुमार वर्मा

विकिसूक्ति से

डॉ रामकुमार वर्मा हिन्दी के प्रसिद्ध सहित्यकार थे।

उक्तियाँ[सम्पादन]

  • जिस देश के पास हिंदी जैसी मधुर भाषा है वह देश अंग्रेज़ी के पीछे दीवाना क्यों है? स्वतंत्र देश के नागरिकों को अपनी भाषा पर गर्व करना चाहिए। हमारी भावभूमि भारतीय होनी चाहिए। हमें जूठन की ओर नहीं ताकना चाहिए।
  • सिद्ध साहित्य का महत्व इस बात में बहुत अधिक है कि उससे हमारे साहित्य के आदिरूप की सामग्री प्रामाणिक ढंग से प्राप्त होती है। चारणकालीन साहित्य तो केवल मात्र तत्कालीन राजनीतिक जीवन की प्रतिच्छाया है। यह सिद्ध साहित्य शताब्दियों से आनेवाली धार्मिक और सांस्कृतिक विचारधारा का स्पष्ट रूप है। संक्षेप में जो जनता नरेशों की स्वेच्छाचारिता पराजय या पतन से त्रस्त होकर निराशावाद के गर्त में गिरी हुई थी, उसके लिए इन सिद्धों की वाणी ने संजीवनी का कार्य किया।
  • चित्रकार अपनी रेखा में जीवन के तत्व और सौंदर्य का रंग भरता है।
  • नारी यदि वर्तमान के साथ भविष्य को भी अपने हाथ में ले ले तो वह अपनी शक्ति से बिजली की तड़प को भी लज्जित कर सकती है।
  • ग्रन्थों में (भवतारण ग्रंथ) तो कबीर को सत्पुरुष का प्रतिरूप मानते हुए उन्हें सब युगों में वर्तमान कहा गया है।
  • कबीर स्वाधीन विचार के व्यक्ति थे।
  • सूरदास की कविता में विश्वव्यापी राग सुनते हैं। वह राग मनुष्य के हृदय का सूक्ष्म उद्गार है।
  • दुःख और वेदना के अथाह सागर वाले इस संसार में प्रेम की अत्यधिक आवश्यकता है।

रामकुमार वर्मा के बारे में उक्तियाँ[सम्पादन]

  • डॉ. रामकुमार वर्मा रहस्यवाद के पंडित हैं। उन्होंने रहस्यवाद के हर पहलू का अध्ययन किया है। उस पर मनन किया है। उसको समझना हो और उसका वास्तविक और वैज्ञानिक रूप देखना हो तो उसके लिए श्री वर्मा की ‘चित्ररेखा’ सर्वश्रेष्ठ काव्य ग्रंथ होगा। -- भगवतीचरण वर्मा