रमण महर्षि
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रमण महर्षि (1879-1950) अद्यतन काल के महान ऋषि और संत थे।
उद्धरण[सम्पादन]
- तुम भविष्य की क्यों चिंता करते हो. तुम तो अपना वर्तमान ही नहीं जानते हो, वर्तमान को संभालो, भविष्य स्वयं अपने आप ठीक हो जाएगा...
- सबसे उत्कृष्ट दान ज्ञान-दान है.
- दुनिया में जो कुछ भी था, मेरा गुरु था।
- जो वेद और शास्त्र के ग्रंथों को याद कर लेता है किंतु उनके यथार्थ तत्व को नहीं समझता, उसका वह याद रखना व्यर्थ है।
- केवल शांति अस्तित्वमान है. हमें केवल शांत रहने की जरूरत है. शांति ही हमारी वास्तविक प्रकृति है. हम इसे नष्ट करते हैं. इसे नष्ट करने की आदत को बंद करने की जरुरत है...
- अभीष्ट फल की प्राप्ति हो या न हो, विद्वान पुरुष उसके लिए शोक नहीं करता।
- मृत्यु शरीर को मार सकती है, ‘अहं-मैं-आत्मा ’ अनिश्वर है, अमर है, मृत्यु की हर एक सीमा से बाहर है....
- मन दो नहीं हैं अच्छा और बुरा. वासना के अनुरूप अच्छे और बुरे मन का स्वरूप हमारे सामने आ जाता है.
- अपने आपको जानो आत्मज्ञान परमोच्च ज्ञान है, सत्य का ज्ञान है.
- सर्वोत्तम और परम शक्तिमयी भाषा मौन है, मौन शांति का भूषण है. उपदेश तो नितान्त मौन रहकर दिया जा सकता है.