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मैक्सिम गोर्की

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मैक्सिम गोर्की (Alexei Maximovich Peshkov ; 16 मार्च ,1868 - 18 जून , 1936 ) रूस और सोवियत संघ के लेखक, 'समाजवादी यथार्थवाद' साहित्यिक पद्धति के संस्थापक और एक राजनीतिक कार्यकर्ता थे। उन्हें साहित्य में नोबेल पुरस्कार के लिए पांच बार नामांकित किया गया।

उक्तियाँ

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  • अतीत का स्मरण सभी वर्तमान ऊर्जा को नष्ट कर देता है और भविष्य के लिए सभी आशाओं को नष्ट कर देता है।
  • अतीत की गाड़ियों में तुम कहीं नहीं जा सकते।
  • हमारा सबसे निर्दयी दुश्मन हमारा अतीत है।
  • आपको बच्चों के लिए उसी तरह लिखना चाहिए जैसे आप वयस्कों के लिए लिखते हैं, केवल बेहतर।
  • एक अच्छा आदमी मूर्ख हो सकता है और फिर से अच्छा हो सकता है। लेकिन बुरे आदमी के पास दिमाग होना चाहिए।
  • कई समकालीन लेखन जितना लिखते हैं उससे अधिक पीते है ।
  • गरीब लोग गरीबी से मूर्ख हैं, और अमीर लालच से।
  • गुस्सा बर्फ की तरह होना चाहिए और जल्दी पिघल जाना चाहिए।
  • जब जीवन नीरस हो तो दुःख भी स्वागत योग्य घटना है ।
  • जब सब कुछ आसान हो जाता है तो व्यक्ति जल्दी ही मूर्ख बन जाता है।
  • झूठ गुलामों और मालिकों का धर्म है। सत्य स्वतंत्र मनुष्य का देवता है ।
  • भविष्य के बारे केवल माता ही सोच सकती है क्योंकि वे अपने बच्चों को जन्म देती हैं।
  • यदि काम एक खुशी है, तो जीवन एक खुशी है ! यदि काम एक कर्तव्य है, तो जीवन गुलामी है।
  • लेखक हवा में महल बनाते हैं, पाठक अन्दर रहता है, और प्रकाशन किराया देता है।
  • संगीत में कोई भी सब कुछ सुन सकता है।
  • सत्य हमेशा एक घायल आत्मा को ठीक नहीं करता है।
  • सभी माता-पिता अपने पापों को अपने आंसुओं से धोते है ; आप अकेले नहीं है।
  • हम हमेशा सुंदरता के दर्शन के लिए तरसते हैं , हम कभी अनजान दुनिया का सपना देखते है।