मृत्यु
दिखावट
- जातस्य हि धुर्वो मृत्युः। -- भागवत् गीता
- जो जन्मा है उसकी मृत्यु निश्चित है।
- करिष्यामि करिष्यामि करिष्यामीति चिन्तया।
- मरिष्यामि मरिष्यामि मरिष्यामीति विस्मृतम्॥ -- उद्भटसागरः
- मैं यह कार्य करूंगा, वह कार्य करूंगा या मुझे वह कार्य करना है -इस प्रकार की चिन्तायें करते करते मनुष्य यह भी भूल जाता है कि उसकी मृत्यु किसी भी क्षण हो सकती है।
- अजराऽमरवत्प्राज्ञो विद्यामर्थञ्च चिन्तयेत् ।
- गृहीत इव केशेषु मृत्युना धर्ममाचरेत् ॥ (भर्तृहरि)
- (बुद्धिमान मनुष्य अपने को बुढापा और मृत्यु से रहित (अजर, अमर) समझकर विद्या और धन का उपार्जन करे और मृत्यु मानों सिर पर सवार है ऐसा समझकर धर्म का पालन करता रहे।)
- मान्धाता च महीपतिः कृतयुगालंकारभूतो गतः
- सेतुर्येन महोदधौ विरचितः क्वासौ दशास्यान्तकः ।
- अन्ये चापि युधिष्ठिरप्रभृतयो याता दिवं भूपते ।
- नैकेनापि समं गता वसुमती नूनं त्वया यास्यति ॥ (भोजप्रबन्ध ; भोज द्वारा मुञ्ज को लिखे पत्र में)
- अर्थ :सतयुग के अलंकार मान्धाता चले गए। जिन्होने समुद्र पर पुल बांधा, रावण का वध करने वाले वे (राम) कहाँ हैं? हे राजा, युधिष्ठिर आदि दूसरे लोग भी चले गए। किसी के साथ भी यह धरती नहीं गयी। तुम्हारे साथ अवश्य जाएगी।
- दुनिया का सबसे बड़ा आश्चर्य ये है की हम रोज मृत्यु होते हुए देखते हैं फिर भी ऐसे व्यवहार करते हैं की जैसे हमें अनंत काल का जीवन मिला हो। -- युधिष्ठिर
- मैं मृत्यु से क्यों डरूं?… जब तक मै हूँ मृत्यु नहीं है और जब मृत्यु है मैं नहीं हूँ। मैं मृत्य से क्यों डरूं उसका अस्तित्व तक नहीं है , जब तक मेरा अस्तित्व है। -- ऐपिकुरस
- हर व्यक्ति जिसका जन्म हुआ है वो मरता है परन्तु हर वो व्यक्ति जिसका जन्म हुआ है जी नहीं पाता है। -- एलन सैक्स
- मृत्यु जीवन का विपरीत नहीं बल्कि इसका एक हिस्सा है। -- हारुकी मुराकामी, ब्लाइंड विलो, स्लीपिंग वुमन
- यदि तुम चाहते हो की लोग तुम्हारे मरते ही तुम्हें भूल न जाएँ। तो कुछ ऐसा लिखो जो पठनीय हो या कुछ ऐसा करो जो लिखने योग्य हो। -- फ्रैंकलिन
- जिस तरह से मनुष्य पुराने कपड़े उतार कर नए कपड़े पहनता है, उसी तरह से आत्मा पुराने शरीर को त्याग कर नया शरीर धारण करती है। (भगवद्गीता)
- जिंदगी मृत्यु से भी अधिक दर्द देती है। -- अज्ञात
- जब कैटरपिलर कहता है यह तो मृत्यु है ….ईश्वर कहते हैं नहीं ये तितली का जन्म हुआ है। -- पाउलो कोलियो
- मृत्यु ने जिंदगी से पूछा, "लोग तुमसे प्यार और मुझसे नफरत क्यों करते हैं?" जिन्दगी ने उत्तर दिया,"क्योंकि मैं एक खूबसूरत झूठ हूँ और तुम एक दर्दनाक सत्य हो। "
- जीवन और मृत्यु एक ही हैं जैसे नदी और सागर। -- खलील जिब्रान
- मृत्यु सबसे बड़ा नुक्सान नहीं है। सबसे बड़ा नुक्सान वो है जो हमारे अन्दर रोज मरता है , जब हम जी रहे होते हैं। -- नोर्मन ब्रदर्स
- आप अपनी मौलिकता के साथ पैदा हुए थे, किसी की नक़ल के साथ मत मरिये। -- जॉन मेसन
- कभी भी बहुत देर नहीं होती। अगर आप को कल मरना है तो आज अपने विचारों के प्रति बिलकुल ईमानदार हो जाओ। और एक दिन के लिए ही सही , ऐसी जिंदगी जिओ जो आप हमेशा से जीना चाहते थे। -- लामा येशे
- जीवित रहने का अर्थ है बार-बार मरने की इच्छा रखना। -- पेमा चोड्रोन
- ऐसे जियो जैसे कल मरना है। और किसी भी चीज को सीखने के लिए ऐसे प्रयास करो जैसे कभी मरना ही न हो। -- महात्मा गाँधी
- मैं नहीं चाहता की मैं जीवन के अन्त पर पहुँच कर इसकी लम्बाई नापूँ , मैं इसकी चौड़ाई नापना चाहता हूँ। -- डायने एकरमैन
- जो व्यक्ति यह जानता है कि जीवन क्या है, वो मृत्यु से घबराता नहीं। उसे सहज भाव से गले लगाता है। -- ओशो
- मृत्यु वो सोने की चाभी है जो अमरत्व के भवन को खोल देती है। -- मिल्टन
- मृत्यु भी धर्मनिष्ठ प्राणी की रक्षा करती है। -- कौटिल्य
- मृत्यु थकावट के सदृश हैं परन्तु सच्चा आनन्द तो अनन्त की गोद में है। -- रवीन्द्र नाथ ठाकुर
- मृत्यु साथ ही चलती है , साथ ही बैठती है और साथ-साथ ही सुदूरवर्ती यात्रा पर जाती है। -- वाल्मीकि
- परिवर्तन ही सृष्टि है, जीवन है और स्थिर होना मृत्यु। -- जयशंकर प्रसाद
- कायर मृत्यु से पूर्व अनेकों बार मर चुकता है, जबकि बहादुर को मरने के दिन ही मरना पड़ता है। (शेक्शपीयर)
- जीवन का महत्ता इसलिये है, क्योंकि मृत्यु है। मृत्यु न हो तो ज़िन्दगी बोझ बन जायेगी। इसलिये मृत्यु को दोस्त बनाओ, उसी डरो नहीं।
- भले ही आपका जन्म सामान्य हो, आपकी मृत्यु इतिहास बन सकती है।
- जब आपका जन्म हुआ तो आप रोए और जग हंसा था। अपने जीवन को इस प्रकार से जीएं कि जब आप की मृत्यु हो तो दुनिया रोए और आप हंसें। -- कबीर
- जब आपके पास पैसा आ जाता है तो समस्या सेक्स की हो जाती है, जब आपके पास दोनों चीज़ें हो जाती हैं तो स्वास्थ्य समस्या हो जाती है और जब सारी चीज़ें आपके पास होती हैं, तो आपको मृत्यु भय सताने लगता है। -- जे पी डोनलेवी
- इस धरती पर कर्म करते-करते सौ साल तक जीने की इच्छा रखो, क्योंकि कर्म करने वाला ही जीने का अधिकारी है। जो कर्म-निष्ठा छोड़कर भोग-वृत्ति रखता है, वह मृत्यु का अधिकारी बनता है। -- वेद
- यदि तुम्हें मरने की विधि पता नहीं है तो चिन्ता की कोई बात नहीं है। प्रकृति तुम्हें मृत्यु के स्थान पर ही बता देगी, वो भी पूरी तरह से और पर्याप्प्त रूप में। -- मॉटेग्ने (Montaigne)
- मेरा कहना तो यह है कि प्रमाद मृत्यु है और अप्रमाद अमृत। -- वेदव्यास