महारणा प्रताप

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महाराणा प्रताप भारत के एक महान वीर और योद्धा थे जिन्होंने अपना जीवन देश हित के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने स्वयं कष्टों में जीवन व्यतीत किया लेकिन, फिर भी देश की रक्षा के लिए अंतिम साँस तक वे बाहरी शक्तियों से लड़ते रहे। देश के लिए लड़ते-लड़ते उन्होंने वन में अपना जीवन गुजारा, घास की रोटियां खा कर अपना जीवन जीया फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी।

अनमोल वचन[सम्पादन]

  • मनुष्य का गौरव और आत्मसम्मान उसकी सबसे बड़ी कमाई होती है। अतः सदा इनकी रक्षा करनी चाहिए।
  • सम्मानहीन मनुष्य एक मृत व्यक्ति के समान होता है।
  • मातृभूमि और अपनी माँ में तुलना करना और अन्तर समझना निर्बल और मूर्खों का काम है।
  • ये संसार कर्मवीरों की ही सुनता है। अतः अपने कर्म के मार्ग पर अडिग और प्रशस्त रहो।
  • समय इतना बलवान होता है, कि एक राजा को भी घास की रोटी खिला सकता है।
  • समय एक ताकतवर और साहसी को ही अपनी विरासत देता है, अतः अपने रस्ते पर अडिग रहो।
  • हल्दीघाटी के युद्ध ने मेरा सर्वस्व छीन लिया हो। पर मेरा गौरव और मेरी शान को और बढ़ भी दिया।
  • जो सुख में अतिप्रसन्न और विपत्ति में डर के झुक जाते हैं, उन्हें न ही सफलता मिलती है और न ही इतिहास में जगह।
  • अपने अच्छे समय में अपने कर्म से इतने विश्वास पात्र बना लो कि बुरा वक्त आने पर वो उसे भी अच्छा बना दे।
  • जो अत्यंत विकट परिस्थिति में भी झुक कर हार नहीं मानते। वो हार कर भी जीते होते हैं।
  • अगर सर्प से प्रेम रखोगे तो भी वो अपने स्वभाव के अनुसार डसेगा ही।
  • शत्रु सफल और शौर्यवान व्यक्ति के ही होते हैं।
  • एक शासक का पहला कर्तव्य अपने राज्य का गौरव और सम्मान बचाने का होता है।
  • तब तक परिश्रम करते रहो जब तक तुम्हें तुम्हारी मंजिल न मिल जाए ।
  • अपनी कीमती जीवन को सुख और आराम की जिन्दगी बनाकर कर नष्ट करने से बढ़िया है कि, अपने राष्ट्र की सेवा करो।
  • गौरव, मान-मर्यादा और आत्मसम्मान से बढ़ कर कीमती जीवन भी नहीं समझना चाहिए।
  • अपनो से बड़ों के आगे झुक कर समस्त संसार को झुकाया जा सकता है।
  • अन्याय, अधर्म, आदि का विनाश करना पूरे मानव जाति का कर्तव्य है।
  • अपने कतर्व्य, और पूरे सृष्टि के कल्याण के लिए प्रयत्नरत मनुष्य को युग युगान्तर तक स्मरण रखा जाता है।
  • मनुष्य अपने कठिन परिश्रम और कष्टों से ही अपने नाम को अमर कर सकता है।
  • अपने और अपने परिवार के अलावा जो अपने राष्ट्र के बारे में सोचे वही सच्चा नागरिक होता है।
  • अगर इरादा नेक और मजबूत है। तो मनुष्य की पराजय नहीं विजय होती है।
  • कष्ट, विपत्ति और संकट ये जीवन को मजबूत और अनुभवी बनाते हैं। इनसे डरना नहीं बल्कि प्रसन्नता पूर्वक इनसे जूझना चाहिए।
  • सत्य, परिश्रम, और संतोष सुखमय जीवन के साधन हैं। परन्तु अन्याय के प्रतिकार के लिए हिंसा भी आवश्यक है।
  • नित्य, अपने लक्ष्य, परिश्रम, और आत्मशक्ति को याद करने पर सफलता का मार्ग सरल हो जाता है।