फ्रेडरिक शिलर

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फ्रेडरिक शिलर (Friedrich Von Schiller; 10 नवम्बर, 1759 - 9 मई, 1805 ) जर्मनी के एक महान नाटककार, कवि , चिकित्सक, दार्शनिक और इतिहासकार थे। वे 18वीं शताब्दी के प्रमुख बीमर क्लासिजिम आन्दोलन से जुडे थे।

उक्तियाँ[सम्पादन]

  • दुष्कर्म एक धीमी आत्महत्या है।
  • सब कुछ बचाने के लिये हमें सब कुछ दाव पर लगाना पड़ेगा।
  • मुझे अपनी मुट्ठी में पूरी एक फौज का एहसास होता है।
  • मूर्खता के साथ देवता स्वयं व्यर्थ संघर्ष करते हैं।
  • अपने युवा सपनों को सच करें।
  • जो कुछ भी करने की हिम्मत नहीं रखता है, उसे किसी भी प्रकार की उम्मीद नहीं रखनी चाहिए।
  • महान आत्माएं मौन से पीडि़त होती हैं।
  • मजाक सब कुछ खो देता है जब जोकर खुद हंसता है।
  • सभी को बचाने के लिए हम सभी को जोखिम उठाना चाहिए।
  • हर सच्चा जीनियस सीधा-साधा होने के लिए बाध्य है।
  • हम वैसे ही स्वतंत्र होंगे, जैसे हमारे पिता थे।
  • मजबूत आदमी अकेला होने पर सबसे मजबूत होता है।
  • जब शराब अंदर जाती है, तो अजीब चीजें सामने आती हैं।
  • ज्ञानी के लिए सत्य मौजूद है, ह्रदय के लिए सौंदर्य है।
  • अनुग्रह स्वतंत्रता के प्रभाव में रूप की सुंदरता है।
  • सभी शक्तिशाली आत्माओं ने एक दूसरे के साथ दया की है।
  • गलती करने की हिम्मत और सपने देखने की हिम्मत, हमेशा रखो।
  • मानव, जाति को अपनी मर्जी से महान या निम्न बनाता है।
  • जो ज्यादा दर्शाता है वह बहुत कम पूरा करता है।
  • विश्व इतिहास विश्व का न्यायालय है।
  • मनुष्य केवल पूरी तरह से संघर्ष से ही मानव होता है।
  • भविष्य धीरे-धीरे आता है, वर्तमान उड़ जाता है और अतीत हमेशा के लिए खड़ा हो जाता है।
  • भगवान बहादुर की मदद करता है।
  • दुख, संक्षिप्त है - आनन्द, अन्तहीन है।
  • वह जो बहुत अधिक सोचता है वह बहुत कम प्रदर्शन करता है।
  • बहुमत की आवाज न्याय का प्रमाण नहीं है।
  • मतों को तौला जाना चाहिए, न कि गिना जाना चाहिए।

सन्दर्भ[सम्पादन]

इन्हें भी देखें[सम्पादन]