पशुधन

विकिसूक्ति से
अपने दो बैलों के साथ भारत के तमिलनाडु का एक किसान

गाय[सम्पादन]

गाय को हिन्दू लोग 'गो-माता' कहते हैं।

उक्तियाँ[सम्पादन]

  • गावो विश्वस्य मातरः
गाय विश्व की माता है।
  • गावः स्वर्गस्य सोपानं गावः स्वर्गेऽपि पूजिताः
गावः कामदुहो देव्यो नान्यत् किञ्चित् परं स्मृतम्॥ -- महाभारत, अनुशासन पर्व (5133)
गौएं स्वर्ग की सीढ़ी हैं, गौएं स्वर्ग में भी पूजनीय हैं। गौएँ समस्त मनोवांछित वस्तुओं को देनेवाली हैं। अतः गौओं से बढ़कर और कोई श्रेष्ठ वस्तु नहीं है।
  • गावो बन्धुर्मनुष्याणां मनुष्या बान्धवा गवाम्।
गौश्च यस्मिन् गृहे नास्ति तद् बन्धुरहितं गृहम्॥ -- पद्मपुराण
गाय मनुष्यों की बन्धु है, और मनुष्य गायों के बन्धु। जिस घर में गाय नहीं है, उस घर का कोई बन्धु नहीं।
  • सर्वोपनिषदो गावो दोग्धा गोपालनन्दन: ।
पार्थो वत्स: सुधीर्भोक्ता दुग्धं गीतामृतं महत् ॥
सभी उपनिषद गाय (के तुल्य) हैं, श्रीकृष्ण उन गायों का दूध निकालने वाले हैं, अर्जुन बछड़े (के समान) हैं, और इन सबके परिणामस्वरूप निकलने वाला दूध गीता रूपी अमृत है।

बैल[सम्पादन]

  • चिरजीवौ जोरी जुरे, क्यों न सनेह गंभीर।
को घटि ये वृषभानुजा, वे हलधर के वीर॥ -- बिहारी
अर्थात: यह जोड़ी चिरजीवी हो। इनमें क्यों न गहरा प्रेम हो, एक वृषभानु की पुत्री हैं, दूसरे हैं बलराम के भाई।
दूसरा अर्थ : यह जोड़ी चिरजीवी हो। इनमें क्यों न गहरा प्रेम हो एक वृषभ (बैल) की अनुजा (बहन) हैं (अर्थात गाय) और दूसरे हलधर (बैल) के भाई (बैल) हैं।
यहाँ श्लेष अलंकार है।

भैंस[सम्पादन]

इन्हें भी देखें[सम्पादन]