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परदेश

विकिसूक्ति से
  • स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान सर्वत्र पूज्यते।
राजा की पूजा अपने देश में होती है लेकिन विद्वान की पूजा सर्वत्र होती है।
  • यस्मिन् देशे न सम्मानो न प्रीतिः न च बान्धवाः
न च विद्यागमः कश्चित् न तत्र दिवसं वसेत्॥ --
जिस देश में न सम्मान हो, न प्रीति हो, न बन्धु हों, न विद्या का कोई आगम हो, वहाँ एक दिन भी नहीं रहना चाहिये।