पक्षपात

विकिसूक्ति से
  • ब्रह्मा ने पत्रलेखा के प्रति पक्षपात किया है और उसे गन्धर्वों से भी अधिक सौन्दर्य प्रदान किया है। --
  • एकांगी अथवा पक्षपाती मस्तिष्क कभी भी अच्छा मित्र नहीं रहता। -- प्रज्ञा सुभाषित
  • किसी व्यक्ति को समझना इतना मुश्किल कार्य नहीं है, जितना मुश्किल बिना पक्षपात किए निर्णय लेना। -- अज्ञात
  • दुष्ट को दण्ड देना, स्वजनों की पूजा करना, न्याय से कोश बढाना, पक्षपात न करना, और राष्ट्र की रक्षा करना – ये राजा के पाँच कर्तव्य है।
  • राजा को सारी प्रजा का पक्षपात-रहित होकर पालन-पोषण करना चाहिए । यह उसका पार्थिव व्रत कहलाता है। --
  • पक्षपात ही सब अनर्थों का मूल है, यह न भूलना। -- स्वामी विवेकानन्द

इन्हें भी देखें[सम्पादन]