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- क्षणे-क्षणे यत् नवतामुपैति, तदेव रूपं रमणीयतायाः। -- शिशुपल वध
- जो क्षण-क्षण नवीन होती रहे, यही रमणीयता है।
- पुरानमित्येव न साधुसर्वम् । -- कालिदास
- जो सारी पुरानी वस्तुएँ और विचार हैं, वे सभी अच्छे ही होते हैं ऐसा नहीं है।
इन्हें भी देखें[सम्पादन]
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