डेल कार्नेगी

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  • जो चाहते हैं उसको मिल जाना सफलता है, जो आपको मिला है उसको चाहना प्रसन्नता है।
  • अगर आप अपने डर पर काबू पाना चाहते हो, तो घर बैठकर और इसके बारे में मत सोचो। बाहर जाओ और कहीं लग जाओ।
  • अगर आप शहद इकठ्ठा करना चाहते हैं तो छत्ते पर लात मत मारिये।
  • अगर तुम्हे नीद नहीं आ रही, तो उठो और कुछ करो, बजाये लेटे रहने और चिंता करने के। नीद की कमी नहीं, चिन्ता तुम्हे नुकसान पहुंचाती है।
  • अच्छे लगने के लिए, अच्छे बनिए। लोगों से उन सवालों को पूछिए जिनके उत्तर देने में उन्हें आनन्द आता है।
  • असफलता को सफलता में परिवर्तित कीजिए। निराशा और असफलता, सफलता के मार्ग में आने वाली दो निश्चित चुनौतियाँ हैं।
  • आप उत्साहित होने का नाटक कीजिए और आप भी उस उत्साहित हो जाओगे।
  • आपके बारे में लोग क्या कहते हैं? इसके बारे में चिन्ता करने के बजाए क्यों ना कुछ करने में समय वहाँ लगाये जिसे अन्य लोग आपको करते हुए देखने की इच्छा करते हैं।
  • आलोचना से कोई सुधरता नहीं है, अलबत्ता सम्बंध जरूर बिगड़ जाते हैं।
  • इस दुनिया में किसी व्यक्ति को कोई काम कराने का मात्र एक ही तरीका है। वो तरीका है, व्यक्ति के अंदर उस कार्य के प्रति इच्छा पैदा करना।
  • ईमानदार रहिए और सच्ची सराहना कीजिए।
  • उदासीनता, संदेह और डर को पैदा करती है। कार्यवाही, विश्वास और साहस को पैदा करती है।
  • उनसे मत डरिए जो आपसे तर्क करते हैं, बल्कि उनसे डरिए जो धोखा करते हैं।
  • किसी आदमी के दिल तक जाने का शाही रास्ता है उससे उस चीज के बारे में बात करना जिसे वह सबसे ज्यादा चाहता है।
  • किसी आदमी के दिल तक जाने का सही रास्ता है, उससे उस चीज के बारे में बात करना, जिसे वह सबसे ज्यादा चाहता है।
  • कोई भी बेवकूफ आलोचना, निंदा और शिकायत कर सकता है- और अधिकतर बेवकूफ यही करते हैं।
  • क्या आप अपने जीवन से ऊब गए हो? तब अपने आप को ऐसे कार्यों में शामिल कीजिए, जिसमें आप पूरे दिल से भरोसा करते हो। उसी के लिए जीते हो, उसी के लिए मरते हो और आप उस खुशी को पाओगे जिसके को बारे में आप कभी नहीं सोच सकते।
  • क्या तुम ज़िन्दगी से ऊब चुके हो? तो फिर खुद को किसी ऐसे काम में झोंक दो जिसमे दिल से यकीन रखते हो, उसके लिए जियो, उसके लिए मरो, और तुम वो ख़ुशी पा जोहे जो तुम्हे लगता था की कभी तुम्हारी नहीं हो सकती।
  • खुद के लिए और अपनी माजूदा स्थिति के लिए अफ़सोस करना, ना केवेल उर्जा की बर्वादी है बल्कि शायद ये सबसे बुरी आदत है जो आपके अन्दर हो सकती है।
  • खुद के लिए और वर्तमान की हालातों के लिए दया करना ना केवल ऊर्जा की बर्बादी है बल्कि आपके पास यह सबसे बुरी आदत है जो हो सकती है।
  • खुशी किसी बाह्य परिस्थितियों पर निर्भर नहीं करती। यह मानसिक दृष्टिकोण के द्वारा संचालित होती है।
  • चापलूसी करना, सामने वालों को वही बताना है, जो वह अपने बारे में सोचता है।
  • जब तक आप जो कर रहे हैं उसे पसंद नहीं करते तब तक आप सफलता नहीं पा सकते।
  • जब भाग्य आपको नींबू दे तो उसका शरबत बना लीजिये।
  • जिस चीज को करने से डर लगता है उस चीज को कीजिए और उसे करते रहिए... अपने डर पर काबू पाने के लिए यही अब तक का सबसे आसान और भरोसेमंद खोजे जाने वाला रास्ता है।
  • ज्ञान तब तक ताकतवर नहीं है, जब तक इसका प्रयोग ना हो।
  • दिमाग के अलावा डर और कहीं नहीं होता।
  • पहले खुद से पूछो: आप का सबसे बुरा क्या हो सकता है? फिर उसे मानने के लिए तैयार रहीए और तब उस बुरे को सुधारने के लिए प्रयास करिए।
  • प्रत्येक इंसान जिससे मैं मिलता हूँ वह किसी ना किसी चीज में वह मुझसे बेहतर होता है जिससे कि मैं कुछ सीख सकता हूँ।
  • प्रशंसा और चापलूसी में क्या फर्क है? इसका जवाब बहुत आसान है। एक सच्ची होती है और दूसरी झूठी होती है, एक दिल से निकलती है दूसरी दांतो से, एक निस्वार्थ होती है तो दूसरी स्वार्थपूर्ण होती है, एक की एक हर जगह सराहना होती है, दूसरे की हर जगह निन्दा।
  • बुराई मत करो, निन्दा मत करो और शिकायत मत करो।
  • मुश्किल कामों को पहले करो। आसान काम खुद-ब-खुद खुद हो जाएंगे।
  • मैं इस राह पर सिर्फ एक बार ही चलूंगा, इसलिए अगर मैं कुछ अच्छा कर सकता हूं या किसी इंसान का कुछ भला कर सकता हूं तो मै ऐसा ही करूंगा। मैं इसे टालूंगा नहीं, नजरअंदाज नहीं करुंगा क्योंकि मैं दोबारा इस राह पर नहीं लौटूंगा।
  • यदि जो आप कर रहे हो उसमें भरोसा करते हो, तब किसी भी चीज को अपने कार्य को रोकने मत दो। दुनिया के अधिकतर कार्य असम्भव लगने के बावजूद ही किए गए हैं। जरूरी बात यह है कि काम पूरा करो।
  • यह वो नहीं है, जो आपके पास है या जो आप हो या जहाँ से हो या आप जो करते हो, जिससे आपको प्रसन्नता या दुख मिलता है। यह उस पर निर्भर करता है, जो आप सोचते हो।
  • लोगों के साथ व्यवहार करते समय हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि हम तार्किक लोगों से व्यवहार नहीं कर रहे हैं, हम भावनात्मक लोगों से व्यवहार कर रहे हैं।
  • प्रशंसा रसीद है, ना कि बिल।
  • हर देश खुद को अन्य देशों से बेहतर समझता है। इसी से देशभक्ति आती है और युद्ध भी।

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