जार्ज बर्नार्ड शा
पठन सेटिंग्स
जॉर्ज बर्नार्ड शॉ (26 जुलाई 1856 – 2 नवम्बर 1950)) एक दार्शनिक, चिन्तक और लेखक थे।
सूक्तियाँ
[सम्पादन]- तर्कसंगत व्यक्ति अपने आप को संसार के अनुरूप ढाल लेता है, अतर्कसंगत व्यक्ति संसार को अपने अनुरूप बनाने का प्रयत्न करता रहता है। अतः सम्पूर्ण उन्नति अतर्कसंगत व्यक्ति पर निर्भर करती है।
- तुम चीजें देखते हो ; और कहते हो, ‘क्यों ?’ लेकिन मैं उन चीजों के सपने देखता हूँ जो कभी थीं ही नहीं; और मैं कहता हूँ ‘क्यों नहीं ?’
- किसी पुरुष या महिला के पालन-पोषण की आज़माइश तो एक झगड़े में उनके बर्ताव से होती है। जब सब ठीक चल रहा हो तब अच्छा बर्ताव तो कोई भी कर सकता है।
- आह, बाघ आपसे प्रेम करेगा। खाने के प्रति प्रेम से सच्चा कोई प्रेम नहीं है।
- सफलता कभी गलती ना करने में निहित नहीं होती बल्कि एक ही गलती दोबारा ना करने में निहित होती है।
- कम्युनिकेशन के साथ सबसे बड़ी समस्या है कि इसके हो चुकने का भ्रम हो जाना।
- अगर तुम्हारे पास एक सेब है और मेरे पास एक सेब है और हम इन सेबों का आदान-प्रदान कर लें तो भी हम दोनों के पास एक-एक ही सेब रहेंगे। लेकिन अगर तुम्हारे पास एक आईडिया है और मेरे पास एक आईडिया है और हम उन आइडियाज का आदान-प्रदान कर लें तो हम दोनों के पास दो-दो आइडियाज हो जायेंगे।
- किसी भी अंग्रेज़ के लिए यह मुमकिन ही नहीं है की वह किसी और के खिलाफ कुछ घटिया या बेहूदा न बोले।
- स्त्रियाँ हमेशा दुःखी रहती हैं। जब आप उनको अपने जीवन में लाते हो तो वह एक चीज चलाती हैं और आप किसी दूसरे चीज को चला रहे होते हो।