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जग्गी वासुदेव

विकिसूक्ति से
सद्गुरु जग्गी वासुदेव

सद्गुरु जग्गी वासुदेव एक आध्यात्मिक गुरु हैं। वे ईसा फाउण्डेशन के संस्थापक हैं जो दुनिया भर में योग के कार्यक्रम आयोजित करती है। साथ ही ये फाउंडेशन बहुत से सामजिक कार्यों में भी अपना योगदान देती है।

उक्तियाँ[सम्पादन]

  • अविश्वसनीय चीजें आसानी से की जा सकती हैं यदि हम उन्हें करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
  • कुंठा, निराशा और अवसाद का मतलब है कि आप अपने खिलाफ काम कर रहे हैं।
  • एक बार जब आपका मन पूर्ण रूप से स्थिर हो जाता है तब आपकी बुद्धि मानवीय सीमाओं को पार कर जाती है।
  • आध्यात्मिकता का मतलब है क्रमिक विकास की प्रक्रिया को फ़ास्ट-फॉरवर्ड पे डालना।
  • हर चीज को ऐसे देखना जैसी कि वो है, आपको जीवन को सहजता से जीने की शक्ति और क्षमता देता है।
  • आपकी ज्यादातर इच्छाएं वास्तव में आपकी नहीं होतीं। आप बस उन्हें अपने सामजिक परिवेश से उठा लेते हैं।
  • ये दर असल सेक्स के बारे में नहीं है- अपने शरीर से अपनी पहचान करना आपके आध्यात्मिक विकास में बाधक है।
  • जिम्मेदारी का मतलब है जीवन में आने वाली किसी भी स्थिति का सामना करने में सक्षम होना।
  • कोई भी काम तनावपूर्ण नहीं है। शरीर, मन और भावनाओं का प्रबन्धन ना कर पाने की आपकी असमर्थता उसे तनावपूर्ण बनाता है।
  • खोजने का अर्थ है ये स्वीकार करना कि आप नहीं जानते हैं। एक बार जब आप अपनी स्लेट साफ़ कर लेते हैं, सच खुद को उसपर छाप सकता है।
  • मन को केवल कुछ चीजें ही याद रहती हैं। शरीर को सबकुछ याद रहता है। जो सूचना ये रखता है वो अस्तित्व के प्रारम्भ तक जाती हैं।
  • अधिकतर मनुष्य पिंजड़े में कैद एक चिड़िया की तरह रहते हैं जिसका दरवाजा टूटा हुआ हो। वे आदतन पिंजड़े को गोल्ड प्लेट करने में बहुत व्यस्त होते हैं, वे परम संभावनाओं तक नहीं जाते।
  • पानी की अपनी याददाश्त है। आप इसके साथ कैसे पेश आते हैं, किस तरह के विचार और भावनाएं पैदा करते हैं उसी के अनुसार वो आपके शरीर में व्यवहार करता है।
  • गप्पें मारना आपके आस-पास के लोगों के साथ एक तरह का मिसअलाइनमेंट है। या तो आप सबके बारे में गप मार सकते हैं, या सबके साथ एक हो सकते हैं।
  • मेरी कोई राय नहीं होती। केवल जब किसी काम के लिए आवश्यक हो जाता है, मैं कोई निर्णय लेता हूँ। राय आपकी बुद्धि के लिए बेड़ियाँ हैं।
  • आध्यात्मिकता विशेष बनने के बारे में नहीं है – ये हर के चीज साथ एक बनने के बारे में है।
  • किसी से अटैच होना दुसरे व्यक्ति के बारे में नहीं है। ये आपकी अपनी अपर्याप्तता के बारे में है।
  • आत्मा, स्वर्ग, या भगवान् के बारे में बात मत करो। किसी ऐसी चीज के बारे में बात करना हो आपके लिए वास्तविकता न हो झूठ के बराबर है।
  • ईमानदारी एक्शन के बारे में नहीं बल्कि उद्देश्य के बारे में है। क्या आप इसे सबकी भलाई के लिए कर रहे हैं या अपने फायदे के लिए?
  • कोई भी दो व्यक्ति एक से नहीं हो सकते। आप लोगों की तुलना नहीं कर सकते। आप बस बराबर अवसर दे सकते हैं।
  • मुझे समझ नहीं आता कि लोग अपने दिमाग को नियंत्रित क्यों करना चाहते हैं। मैं चाहता हूँ कि वे अपने दिमाग को आज़ाद कर दें।
  • बहुत अधिक प्राप्त कर लेने जैसी कोई चीज नहीं है। जीवन कभी न ख़त्म होने वाली सम्भावना है।
  • अगर आप अपनी लाइफ उन चीजों में नहीं लगाते जिनकी आप सचमुच फ़िक्र करते हैं तो आपकी लाइफ बर्वाद हो जायेगी। आप उड़ेंगे नहीं – आप लाइफ में बस खुद को घसीटेंगे।
  • जीवन आपके बाहर नहीं है। आप जीवन हैं।
  • योग का मतलब है सीमित को असीमित से जोड़ना।
  • एक सांप और जीवों से अधिक जानता है कि उसके आस-पास क्या हो रहा है, क्योंकि गप सुनने के लिए उसके पास कान नहीं होते – केवल प्रत्यक्ष अनुभूति।
  • जीवन में जो भी आपका लक्ष्य हो, जब तक आप उसे पाने की जल्दी नहीं दिखाते, जो करीब हो सकता था वो दूर हो जाएगा।
  • हर सांस जो आप लेते हैं, आपको मौत के करीब ले जाती है। लेकिन हर सांस जो आप लेते हैं, आप अपनी मुक्ति के करीब भी जा सकते हैं।
  • जो भी होता है – अंत में, जीवन खुद को सही कर लेता है।
  • अध्यात्म कोई विकलांगता नहीं है – यह जीवन का एक अभूतपूर्व सशक्तिकरण है।
  • इस ग्रह पर हर दुसरा प्राणी अपना सर्वश्रेष्ठ कर रहा है। केवल मनुष्य ऐसा करने में संकोच करते हैं।
  • डेथ कोई डिजास्टर नहीं है। बहुत सारी बर्थ्स – असली डिजास्टर है।
  • अगर कोई आपके अहंकार पर कदम रखता है, वो आपका दुश्मन बन जाता है। लेकिन एक गुरु एक दोस्त होता है जो लगातार आपके अहम को कुचलता रहता है।
  • चाहे आप कोई बिजनेस, इंडस्ट्री या देश चला रहे हों –जो चीज चाहिए वो हैं अंतर्दृष्टि, ईमानदारी , और प्रेरणा।
  • गलत खेती के तरीकों से, हम उपजाऊ जमीन को रेगिस्तान में बदल रहे हैं। जब तक हम वापस जैविक खेती की ओर नहीं लौटते और मिटटी को नही बचाते, तब तक कोई भविष्य नहीं है।
  • एक इंसान एक बीज की तरह है। या तो आप इसे वैसे रख सकते हैं जैसा वो है, या आप इसे फूलों और फलों से लदे एक अद्भुत पेड़ के रूप में विकसित कर सकते हैं।
  • अध्यात्म परम लालच है। आप न सिर्फ सृजन का एक टुकड़ा चाहते हैं – आप सृष्टि का स्रोत चाहते हैं।
  • भक्ति तब होती है जब जीवन के साथ आपकी भागीदारी इतनी पूर्ण होती है कि आप खुद कोई मायने नहीं रखते।
  • जब तक आप अपने कष्टों से बेखबर नहीं होते, आपको कोई अधिकार नहीं कि आप दूसरों के कष्टों से बेखबर हों।
  • “मैं तुम्हे बदलना चाहता हूँ”- ये क्रांति नहीं है. “ मैं बदलना चाहता हूँ”- अब ये एक क्रांति है।
  • एक ज़रूरी चीज जो आप अपने बच्चों के लिए कर सकते हैं वो है उन्हें बाहर प्रकृति में ले जाने के लिए कुछ समय देना।
  • अधिकतर लोग ईगो-सेंसिटिव होते हैं, लाइफ-सेंसिटिव नहीं।
  • जिस क्षण आप इस दुनिया में अपने आस-पास के जीवन की परवाह किये बिना कार्य करते हैं, आप अपराधी हैं।
  • कितना अच्छा होता अगर ये दुनिया छोटे बच्चों द्वारा चलायी जाती, क्योंकि वे किसी और की तुलना में जीवन के ज्यादा करीब होते हैं।
  • अगर आप सफल होना चाहते हैं, सफलता को मत खोजिये- क्षमता, सशक्तिकरण को खोजिये; अपने सर्वश्रेष्ठ से कम कुछ भी मत करिए।
  • जीवन का अर्थ क्या है? यह इतनी महान घटना है कि इसे किसी अर्थ में नहीं बाँधा जा सकता।
  • जो कुछ भी निर्मित किया जा सकता है वो पहले से ही सृष्टि में किया जा चुका है। बतौर मनुष्य, हम बस उसकी नक़ल कर सकते हैं, बना नहीं सकते।
  • हर चीज को फ़ोन के माध्यम से देखना बस आपकी अनुभूति को सुन्न कर रहा है- ये वास्तव में किसी भी तरह आपके जीवन के अनुभव को बढ़ा नहीं रहा।
  • जिस तरह की क्षमता एक मनुष्य में होती है, ये जीवन बहुत छोटा है।
  • ख़ुशी बस आनंद की छाया है। जब आपके अन्दर कोई आनंद नही होता, तो आप ख़ुशी खोजने लगते हैं।
  • भौतिक अस्तित्व का बस एक छोटा सा पहलू है। इस ब्रह्मांड में १ % भी भौतिक नहीं है- बाकी गैर-भौतिक है।
  • ये आपकी क्वालिफिकेशंस नहीं बल्कि लाइफ में मिलने वाला एक्सपोज़र है जो आपको वो बनाता है जो आप हैं।
  • हर बुनियादी काम जैसे खाना या सेक्स करना जादुई बन जाता है जब आप इसे कोंसियसली करते हैं।
  • एक गुरु कोई ऐसा नही होता जो आपके लिए मशाल पकड़ता है। वो खुद मशाल होता है।
  • शिक्षा का फोकस दमनकारी सूचना पर नहीं होना चाहिए बल्कि ज्ञान की प्यास प्रज्वालित करना होना चाहिए।
  • हमें और हिन्दू, और क्रिश्चन, या और मुसलमान नहीं चाहिएं- हमें और बुद्ध, और जीसस, और और कृष्ण चाहिएं- तब असल बदलाव आएगा। हर मनुष्य में वो आंतरिक क्षमता है।
  • पेड़ आपकी साँसों के स्रोत हैं- उन्हें काटिए और आप जीवन को ही काट देंगे।
  • जब कोई ज़रूरत से ज्यादा खाए और कोई भूखा रहे तो मैं उसे अनर्थ कहता हूँ।
  • अस्तित्व में सबसे बड़ी शक्ति चेतना है, और आप वो हैं।
  • लोग किताबों को पवित्र कहते हैं, लेकिन उन्हें अभी भी ये समझना है कि जीवन पवित्र है।
  • ब्रह्मांड के विस्तार में, सब कुछ सही चल रहा है, लेकिन आपके मन में आया एक जरा सा बुरा विचार पूरा दिन खराब कर देता है। यह परिप्रेक्ष्य का अभाव है।
  • संपत्ति को अपनी भलाई में बदलने के लिए, आपको आध्यात्मिक तत्व की आवश्यकता होगी। उसके बिना, आपकी सफलता आपके खिलाफ काम करेगी।

शिव पर[सम्पादन]

  • मैं चाहता हूँ कि दुनिया यह जाने कि योग के जन्मदाता आदियोगी - यानी खुद शिव ही हैं।
  • आदियोगी का अस्तित्व सभी धर्मों से पुराना है। ये 112 फीट ऊंचा भव्य चेहरा उनके साधनों की सार्वभौमिकता का उत्सव मनाने के लिए है।
  • आदियोगी, एक प्रतीक और एक संभावना हैं। वे उन साधनों के मूलदाता भी हैं जिनसे आप खुद को रूपांतरित करके अपने जीवन को खुद रच सकते हैं।
  • आदियोगी का महत्व यह है कि उन्होंने मानव चेतना के विकास के लिए ऐसी विधियां बताई, जो हर काल में प्रासंगिक हैं।
  • आदियोगी ने जिस मौलिक ज्ञान की रचना की है, वह ज्ञान धरती की लगभग हर उस चीज का स्रोत है, जिसे आप आध्यात्मिक कह सकते हैं।
  • यौगिक संस्कृति में शिव को आदि योगी या पहले योगी, और ज्ञान और मुक्ति के स्रोत की तरह जाना जाता है।
  • अस्तित्व में सबसे बड़ी शक्ति शिव हैं। शिव का अर्थ है - कुछ न होना। कुछ न होना, सब कुछ का आधार है।
  • इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपके जीवन की स्थिति कैसी है, शिव हर स्थिति में प्रासंगिक हैं - इसीलिए वह महादेव हैं। शिव, क्षुद्र समस्याओं के लिए समाधान नहीं बल्कि मुक्ति के लिए हैं।
  • ऐसा कहते हैं कि भगवान हर जगह है। कुछ-कुछ केवल कुछ-जगह हो सकता है। केवल कुछ नहीं ही हर जगह हो सकता है । शिव का अर्थ है - कुछ नहीं, वह जो है ही नहीं ।
  • हम कहते हैं कि शिव स्वयंभू हैं - इसका मतलब है कि उनका कोई पालन-पोषण नहीं हुआ है। कोई पिता नहीं, कोई माँ नहीं, क्योंकि आनुवंशिकी का अर्थ है पुनरावृत्ति, जिसका अर्थ है चक्रीय प्रकृति। चक्रीय प्रकृति का अर्थ है कि आप गोल-गोल घूम रहे हैं, जिसका अर्थ है कि आप कहीं नहीं पहुँच रहे हैं।
  • शिव को उनकी गर्दन के चारों ओर फन उठाये हुए एक सांप के साथ चित्रित किया जाता है, यह इंगित करने के लिए कि ऊर्जाओं ने चरम को छू लिया है।
  • शिव ऊपर रहने वाले देवता नहीं हैं, बल्कि वे यहाँ एक जीवित उपस्थिति हैं ।
  • कालभैरव, समय के रूप में शिव की एक अद्वितीय अभिव्यक्ति है।
  • शिव हर जगह हैं। यदि आप वहां हैं, तो आप इसे महसूस नहीं कर सकते। यदि आप नहीं हैं, तो यह सब कुछ है।
  • लिंग के बिना शिव नहीं हैं। लिंग असीम शून्य का मार्ग है जिसे हम शिव कहते हैं।
  • ध्यानलिंग, महाशिवरात्रि, और अन्य कई चीजें जो हम करते हैं, वे सिर्फ आदियोगी के प्रति आभार व्यक्त करने का प्रयास हैं। उन के बिना, हम कुछ भी नहीं हैं।
  • मैं शिव का भक्त नहीं हूं। वे मेरे 50% के पार्टनर हैं । वे सोते हैं, मैं काम करता हूं।
  • जिसे हम शिव कहते हैं, वह अस्तित्व का गैर-भौतिक आयाम है, जो वास्तव में ब्रह्मांड का सबसे बड़ा आयाम है।
  • शिव का महत्व यह है: जब उन्होंने सबसे पहले उस आयाम को सिखाया, जिसे हम योग कहते हैं, तो वे मानव जीवन में सृजन के साथ मिलन की संभावना ले आए ।
  • हम आदियोगी को शिव कहते हैं, क्योंकि उन्होंने उस आयाम को जाना है जिसे हम शिव या जो नहीं है कहते हैं। 'जो नहीं है’ और जो इस बात को जानता है, दोनों के बीच कोई अंतर नहीं है।
  • मानव चेतना के लिए आदियोगी का काम सबसे बड़ा योगदान है। हम चाहते हैं कि उनका काम लोगों के दिलों, दिमागों और शरीरों में रहे। हम इस विज्ञान को एक जीवित शक्ति के रूप में मानवता के लिए लाना चाहते हैं।
  • काशी - शिव का पहला रूप जो प्रकाश की एक मीनार के रूप में स्थापित किया गया था।
  • शिव ऐसे लोगों को पसंद करते हैं जिनमें किसी चीज़ की ओर झुकाव न हो बल्कि जो प्रज्जवलित हों ।
  • असीम शून्यता जो अस्तित्व का आधार है, उसे हम शिव कहते हैं।
  • हमने यह नहीं कहा कि शिव दिव्य हैं। हमने नहीं कहा कि शिव भगवान हैं। हमने कहा कि शिव ‘वह है, जो नहीं है’।
  • शिव का अर्थ है ‘वह जो नहीं है’। यही वह विशाल शून्य की गोद है जिसमें से सृजन हुआ है।
  • आदियोगी एक योगी हैं, लेकिन हम उन्हें शिव कहते हैं क्योंकि वह एक असीम संभावना हैं। वह असीमता का बीज हैं।
  • सब कुछ, कुछ नहीं से आता है और वापस कुछ नहीं में चला जाता है। यह ‘कुछ नहीं’ ही है, जो समस्त सृष्टि का स्रोत है, और जिसे शिव कहा जाता हैं।
  • वह सब जिसे आप सृष्टि कहते हैं, वह ‘कुछ नहीं’ से आती है, और ‘कुछ नहीं’ में वापस लौट जाती है। यह ‘कुछ नहीं’, जो सृजन का स्रोत है, उसे ही हम शिव कहते हैं।
  • शिव अर्धनारी हैं - इसका मतलब है कि वह आधी स्त्री हैं, आधे पुरुष हैं। स्त्रैण आयाम के बिना, वह योगी नहीं हो सकते।