चौधरी चरण सिंह

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चौधरी चरण सिंह (23 दिसंबर 1902 - 29 मई 1987) भारत के स्वतन्त्रता सेनानी एवं राजनेता थे। वे अल्प समय के लिये (28 जुलाई 1979 से १४ जनवरी १९८०) भारत के प्रधानमन्त्री भी रहे। उन्होंने जीवनभर किसानों के हक की लड़ाई लड़ी।

विचार[सम्पादन]

  • असली भारत गांवों में रहता है।
  • अगर देश को उठाना है तो पुरुषार्थ करना होगा हम सब को पुरुषार्थ करना होगा मैं भी अपने आपको उसमें शामिल करता हूँ मेरे सहयोगी मिनिस्टरों को, सबको शामिल करता हूँ हमको अनवरत् परिश्रम करना पड़ेगा तब जाके देश की तरक्की होगी।
  • राष्ट्र तभी संपन्न हो सकता है जब उसके ग्रामीण क्षेत्र का उन्नयन किया गया हो तथा ग्रामीण क्षेत्र की क्रय शक्ति अधिक हो।
  • किसानों की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होगी तब तक देश की प्रगति संभव नहीं है।
  • किसानों की दशा सुधरेगी तो देश सुधरेगा।
  • किसानों की क्रय शक्ति नहीं बढ़ती तब तक औधोगिक उत्पादों की खपत भी संभव नहीं है।
  • भ्रष्टाचार की कोई सीमा नहीं है जिस देश के लोग भ्रष्ट होंगे वो देश कभी, चाहे कोई भी लीडर आ जाये, चाहे कितना ही अच्छा प्रोग्राम चलाओ वो देश तरक्की नहीं कर सकता।
  • चौधरी का मतलब, जो हल की चऊँ को धरा पर चलाता है.
  • हरिजन लोग, आदिवासी लोग, भूमिहीन लोग, बेरोजगार लोग या जिनके पास कम रोजगार है और अपने देश के ५०% फीसदी किसान जिनके पास केवल १ हैक्टेयर से कम जमीन है, इन सबकी तरफ सरकार विशेष ध्यान होगा।
  • सभी पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जातियों, कमजोर वर्गों, अल्पसंख्यकों, अनुसूचित जनजातियों को अपना अधिकतम विकास के लिये पूरी सुरक्षा एवं सहायता सुनिश्चित की जाएगी।
  • किसान इस देश का मालिक परन्तु वह अपनी ताकत को भूल बैठा है।
  • देश की समृद्धि का रास्ता गांवों के खेतों एवं खलिहानों से होकर गुजरता है।