चन्द्रशेखर वेङ्कटरामन्

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चन्द्रशेखर वेङ्कटरामन्

चन्द्रशेखर वेंकटरमन (7 नवम्बर 1888 – 21 नवम्बर 1970  ; सी वी रामन्) भारत के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक थे जिन्हें १९३० का भौतिकी का नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया था। इनका जन्म तमिलनाडु राज्य के तिरुचिरापल्ली शहर में 7 नवम्बर 1888 को हुआ था। इनके पिता का नाम चंद्रशेखर अय्यर था जो की गणित और भौतिकी के व्याख्याता थे। इनकी माता का नाम पार्वती अम्मल था।

प्रकाश के प्रकीर्णन और 'रमन प्रभाव' की खोज करने के लिए इन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

सूक्तियाँ[सम्पादन]

  • विज्ञान एक कठिन विषय है। इसे पढ़ने के लिए एकाग्रता चाहिए।
  • कोई भी अनुसन्धान करने में कठिन परिश्रम और लगन की आवश्यकता होती है, कीमती उपकरण की नहीं।
  • मैंने विज्ञान के अध्ययन के लिए कभी भी किसी कीमती उपकरण का उपयोग नही किया, मैंने "रमन प्रभाव" की खोज के लिए शायद ही किसी उपकरण पर 200 रुपए से अधिक खर्च किया हो।
  • सही व्यक्ति, सही सोच और सही उपकरण : मतलब सही नतीजे।
  • गरीबी और साधनहीन प्रयोगशालाओं ने मुझे मेरा सर्वोत्तम काम करने के लिए दृढ़ता दी।
  • सदा सही सवाल पूछें। फिर देखना प्रकृति अपने रहस्यों के सभी द्वार खोल देगी।
  • आधुनिक भौतिकी की पूरी रूपरेखा पदार्थ के परमाणु या आणविक संरचना की मौलिक परिकल्पना पर बनी है।
  • मेरा दृढ़ता से मानना ​​है कि मौलिक विज्ञान को अनुदेशात्मक, औद्योगिक और सरकार या सैन्य दबावों द्वारा संचालित नहीं किया जाना चाहिए।
  • सबसे पहले मैं एक भारतीय हूँ और चाहे कुछ भी हो जाए, मैं अपना देश नही छोड़ सकता।
  • अगर आप मेरे साथ अच्छे से पेश आते हैं तो आप कुछ प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप मेरे साथ सही ढंग से पेश नही आते है तो आपको कुछ नही मिल सकता।
  • यदि कोई आपको जज कर रहा है तो वह स्वयं के दिमाग को खराब कर रहा है और वह उसकी खुद की समस्या है।
  • आप अपनी लाइफ में यह नही चुन सकते है की आपकी लाइफ में कौन आता है लेकिन आप उससे सबक ले सकते है।
  • अपनी असफलताओं के लिये मैं स्वयं जिम्मेदार हूँ। यदि मैं असफल नहीं होता तो इतना सब कुछ कैसे सीख पाता?
  • आपके सामने उपस्थित कार्य के लिए दमदार समर्पण से आप कामयाबी प्राप्त कर सकते है।

इन्हें भी देखें[सम्पादन]