चंद्रशेखर आजाद

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चन्द्रशेखर आजाद (२३ जुलाई १९०६ - २७ फरवरी १९३१) भारत के एक निडर क्रांतकारी थे जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिये सशस्त्र संघर्ष का मार्ग अपनाया। अपने साथी भगत सिंह, सुखदेव और राम प्रसाद बिस्मिल के साथ मिलकर इन्होंने ब्रिटिश सरकार की नाक में दम कर दिया था।

आजाद चन्द्रशेखर का जन्म 23 जुलाई 1906 को उत्तर प्रदेश के उन्नाव शहर में हुआ था। वे मात्र 14 साल की आयु में ही गांधी जी के असहयोग आंदोलन से जुड़ गए थे।

उक्तियाँ[सम्पादन]

  • मेरा नाम आजाद है, मेरे पिता का नाम स्वाधीनता है और मेरा घर जेलखाना है।
  • दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे।
आज़ाद हैं, आज़ाद ही रहेंगे॥
  • किसी भी एक भारतवासी के जख्म का बदला हजारों जख्मों से लिया जाएगा। यह चेतावनी नहीं घोषणा है।
  • सूरज पश्चिम में निकल सकता है परन्तु ये आजाद अपने देश को कभी अकेला नहीं छोड़ सकता।
  • किसी क्रांतिकारी का सबसे बड़ा हथियार नहीं होती हैं बंदूकें, बम या तोप। क्रांतिकारी विचारों से बनते हैं जो नैतिकता से, सत्य से, प्रेम से और किताबों से आते हैं।
  • जो दुश्मन हमारी धन-संपदा और संस्कृति को लूट रहे हैं, उन्हें लूटना और उनसे अपने धन-संपदा का रक्षा करना कोई गुनाह नहीं है।
  • देश अगर हाथ जोड़ने से आजाद हो जाता तो यह जान लें कि भारत कभी गुलाम नहीं होता।
  • खैरात में मिली खुशी हमें अच्छी नहीं लगती क्योंकि हम अपने गमों में भी नवाब की तरह जीते हैं।
  • जीवित रहते मैं अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए निरन्तर संघर्ष करता रहूँगा। किसी भी क्षण मैं मातृभूमि की खातिर अपने प्राण न्योछावर करने से पीछे नहीं हटूंगा।
  • किसी भी भारतवासी के जख्म का बदला हजारों जख्मों से लिया जाएगा। यह चेतावनी नहीं घोषणा है।
  • जो दुश्मन हमारे धन संपदा और संस्कृति को लूट रहे हैं, उन्हें लूटना और उनसे अपने धन संपदा की रक्षा करना कोई गुनाह नहीं है।
  • अगर आपके लहू में रोष नहीं है, तो यह पानी है जो आपकी रगों में बह रहा है।
  • मातृभूमि की इस दुर्दशा को देखकर अभी तक यदि आपका रक्त क्रोध नहीं करता है, तो यह आपकी रगों में बहता खून नहीं है ये तो पानी है।
  • ऐसी जवानी का क्या मतलब अगर वह मातृभूमि के काम ना आए।
  • मातृभूमि की इस दुर्दशा को देखकर जो तुम चुप बैठे रहे तो तुम्हारा मान-सम्मान और स्वाभिमान दुश्मनों के अधीन है।
  • दूसरे अपने से बेहतर कर रहे हैं यह नहीं देखना चाहिए। हर दिन अपने ही नए कीर्तिमान स्थापित करने चाहिए क्योंकि लड़ाई खुद से होती है दूसरों से नहीं।
  • अगर इश्क करना ही है तो वतन से करो। मरना ही है तो वतन की खातिर मारो।
  • आज का युवा संगठित हो रहा है। यह मेरा देश की शक्ति का संगठन है।
  • मेरा यह छोटा सा संघर्ष ही कल महान बन जाएगा।
  • मौत तो एक दिन सबको आनी है। कुछ लोग डर-डर के जीते है, कुछ लोग मर कर भी अमर हो जाते हैं।
  • भले ही मेरा प्राम्भिक जीवन आदिवासी इलाके में बीता है लेकिन मेरे हृदय में मातृभूमि ही बसती है।
  • शत्रु के साथ कैसी नम्रता? हमारी नम्रता का ही फल है कि आज हमारी मातृभूमि संकट में है।
  • मैं ऐसे धर्म और संस्कार का पालन करता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा सिखता है।
  • गालों पर थप्पड़ खाने से स्वतंत्रता नहीं मिलती। गोलियां मारनी पड़ती हैं दुश्मनों को।
  • सच्चा धर्म वही है जो स्वतंत्रता को परम मूल्य की तरह स्थापित करे।
  • कोई विमान जमीन पर सदा सुरक्षित रहता है, लेकिन यह इसके लिए नहीं बनाया जाता। महान ऊंचाई प्राप्त करने के लिए हमेशा जीवन में कुछ सार्थक जोखिम लेना होगा।
  • देश मेरा गुलाम नहीं है, लोगों की सोच गुलाम है।
  • अगर मातृभूमि को आजाद करना है तो अंग्रेजों की बोली बोलना छोड़ दो, उनका आचरण करना छोड़ दो।
  • मेरे जज्बातों से इस कदर वाकिफ है , मेरी कलम
मैं इश्क़ लिखना चाहूं , तो इंकलाब लिख जाता है॥
  • मां हम विदा हो जाते हैं, हम विजय केतु फहराने आज,
तेरी बलिवेदी पर चढ़कर मां, निज शीश कटाने आज।
मलिन वेष ये आंसू कैसे, कंपित होता है क्यों गात?
वीर प्रसूति क्यों रोती है, जब लग खंग हमारे हाथ
धरा शीघ्र ही धसक जाएगी, टूट जाएंगे न झुके तार,
विश्व कांपता रह जाएगा, होगी मां जब रण हुंकार।
नृत्य करेगी रण प्रांगण में, फिर-फिर खंग हमारी आज
अरि शिर गिराकर यही कहेंगे, भारत भूमि तुम्हारी आज।
अभी शमशीर कातिल ने, न ली थी अपने हाथों में।
हजारों सिर पुकार उठे, कहो दरकार कितने हैं।।
  • चिन्गारी आजादी की सुलगती मेरे जिस्‍म में है,
इंकलाब की ज्वालाएं लिपटी मेरे बदन में हैं,
मौत जहां जन्नत हो यह बात मेरे वतन में है,
कुर्बानी का जज्बा जिंदा मेरे कफन में है।
  • जो युवा अपनी मातृभूमि की खातिर संघर्ष नहीं कर सकते, वे अपनी जननी की खातिर समर्पित नहीं हो सकते।
  • आजाद की कलाई में हथकड़ी लगाना बिलकुल असंभव है। एक बार सरकार लगा चुकी, अब तो शरीर के टुकड़े-टुकड़े हो जाएँगे लेकिन जीवित रहते पुलिस बंदी नहीं बना सकती।
  • दुश्मन की गोलियों का, हम सामना करेंगे,
आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे ।
  • जब तक यह बमतुल बुखारा (आजाद की पिस्तौल का नाम) मेरे पास है, किसने माँ का दूध पीया है जो मुझे जीवित पकड़ के ले जाए?
  • गिरफ्तार हो कर अदालत में हाथ बांध मुझे बंदरिया का नाच नहीं नाचना है। आठ गोली पिस्तौल में है और आठ का दूसरा मैगजीन है। पंद्रह दुश्मन पर चलाऊंगा और सोलहवी यंहा… (और आजाद अपनी पिस्तौल अपनी कनपटी पर छुआ देते)
  • मैं जीवन की अंतिम सांस तक देश के लिए शत्रु से लड़ता रहूँगा।
  • जब तक मेरे शरीर में प्राण है मैं अंग्रेजों की गुलामी नहीं करूंगा।

चन्द्रशेखर आजाद के बारे में[सम्पादन]

  • आजाद सी वो आन हो और वैरियों से वैर हो
ताव मूछों को देता चले कि दुश्मन सारे ढेर हो
और बची आखरी पिस्टल की गोली भी चीख-चीख कर बोले
चलाने वाला मुझे कोई फिर आजाद जैसा शेर हो॥

इन्हें भी देखें[सम्पादन]