गुलज़ार
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गुलज़ार (मूल नाम "संपूर्ण सिंह कालरा") भारत के एक प्रख्यात कवि, लेखक, संगीतकार व सिनेमा निर्देशक हैं। उनके द्वारा रचित फ़िल्म गाने व कविताएँ सुधी पाठक व आम जनता द्वारा उच्च प्रशंसित हैं।
उद्धरण
[सम्पादन]- ज़िन्दगी बड़ी होनी चाहिए, लम्बी नहीं।
- मिलता तो बहुत कुछ है इस ज़िन्दगी से। बस हम गिनती उसी की ही करते हैं, जो हासिल हो न सका।
- तकलीफ़ ख़ुद ही कम हो गई, जब अपनों से उम्मीद कम हो गई।
- तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं। रात भी आयी थी, और चाँद भी था। हाँ, मगर नींद नहीं…
- आईना देखकर तसल्ली हुई। हमको इस घर में आख़िर जानता है कोई।
- कौन कहता है हम झूठ नहीं बोलते। ज़रा ख़ैरियत तो पूछ के देखिए।
- आनेवाला पल जानेवाला है। हो सके तो उसमें ज़िन्दगी बीता दो, पल जो यह जानेवाला है।
अन्य व्यक्तियों के बारे में गुलज़ार
[सम्पादन]- शब्दों से परे थी लता - वह एक करिश्मा थी जो फिर कभी न होगी। मेरे लिखे अल्फ़ाज़ को लता ने ज़िन्दगी बख्शी।
- लता मंगेशकर के निधन पर
- हिन्दी सिनेमा का सबसे संपूर्ण अभिनेता हैं अमिताभ बच्चन - दिलीप कुमार से भी अधिक निपुण। मगर अफ़सोस है कि मैं उनके साथ कभी काम कर न सका।
- ट्रिब्यून से साक्षात्कार
गुलज़ार के बारे में अन्य व्यक्ति
[सम्पादन]- अगर वह कहते हैं कि मैं सदी की आवाज़ हूँ, तो मैं कहूँगी कि वह सदी के लेखक हैं।
- लता मंगेशकर : गुलज़ार के 87वां जन्म दिवस पर
संदर्भ
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