गँग्स ऑफ वस्सेपूर-१
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गँग्स ऑफ वस्सेपूर-१ २०१२ में निर्मित एक हिंदी भाषा की फिल्म है। यह फिल्म धनबाद,झारकंड के कोयला माफिया और ३ घरो मी चलनेवला निचले स्तर का राजकारण, झगडा और त्वेष पे आधारित है। इस फिल्म मी मनोज बाजपेई, नवाझ्झुद्दिन सिद्दकी, हुमा कुरेशी, रिचा चढ्ढा, तिग्मंषु धुलिया, पियुष मिश्रा मुख्य भूमिका मी है। और फिल्म कि कहाणी का काल १९४०-१९८५ के बीच का दिखाया गया है।
- निर्देशक - w: अनुराग कश्यप, लेखक - झेईशान काद्री, अखिलेश जैसवाल, सचिन लाडिया।
सरदार खान(मनोज बाजपेई)
[सम्पादन]- हमारी झीन्दागी का एक हि मकसद है… बदला… रामाधीर सिंघ को बड्डपण कि सिढि रोज चढते हुए नही देखा जाता।
उस हरामी को हमे मिटाना है। गोली नाही मारेंगे साले को, केह के लेंगे उसकी। - जरा सुंग के बताओ मंत्रीजी नाश्ते मे का खाये है।
रामाधीर सिंघ (तिग्मंषु धुलिया)
[सम्पादन]- न कोई किसी का रकीब होता है, ना कोई किसी का हबीब होता है। खुदा कि रेहमत से बन जाते ही रिश्ते, जहां जिसका नसीब होता है।
- इन्सान जो है बस्स दो नसल के होते है- एक होते है हरामी और दुसरे बेवकूफ और ये सारा खेल इन दोनो का ही है।
नगमा खातून (रिचा चढ्ढा)
[सम्पादन]- खाना खाओ, ताकद आयेगा… बाहर जाके बेइज्जती मत करके आना।
सुल्तान (पंकज त्रिपाठी)
[सम्पादन]- यहां कबुतर भी एक पंख से उडता है… और दुसरे से अपना इज्जत बचाता है।
- बडे लोग अपना नाम भूल जाते थे। लेकिन अपनी झमीन अपना सामान नही।