इमानुएल कांट

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इमानुएल कांट (Immanuel kant ; 22 अप्रैल , 1724 - 12 फरवरी , 1804 ) एक महान जर्मन दार्शनिक थे। उनकी सबसे प्रसिद्ध कृति 'क्रिटिक ऑफ प्योर रीजन' है। कोनिंग्सबर्ग विश्वविद्यालय में एक पूर्ण प्रोफेसर बनने से पहले उन्होंने तर्कवाद और अनुभववाद के बीच के मध्य की खोज करते हुए एक शिक्षक के रूप में काम किया था।

उक्तियाँ[सम्पादन]

  • सामग्री के बिना विचार खाली हैं, अवधारणाओं के बिना अन्तर्ज्ञान अंधा है।
  • शिक्षा के माध्यम से ही दुनिया की सारी अच्छी चीजें निकलती हैं।
  • खुशी एक आदर्श कारण नहीं है, लेकिन कल्पना की है।
  • आदमी को अनुशसित होना चाहिए, क्योंंकि वह स्वभाव से कच्चा और जंगली होता है।
  • अपने जीवन को ऐसे जियो जैसे कि तुम्हारा हर कार्य एक  सर्वभौमिक कानून बन जाए।
  • सिद्धांत के बिना अनुभव अंधा है , लेकिन अनुभव के बिना सिद्धांत केवल बौद्धिक नाटक है।
  • हमारा सारा ज्ञान इंद्रियों से शुरु होता है , फिर समझ में आता है, और तर्क के साथ समाप्त होता है। कारण से बढ़कर कुछ भी नहीं है।
  • हम इस लिए अमीर नहीं है कि हमारे पास क्या है लेकिन इसके बिना हम क्या कर सकते हैं।
  • नजदीक से देखों। छोटा भी सुंदर हो सकता है।
  • सोचने की हिम्मत करो।
  • जो खुद को एक कीड़ा बना लेता है वह बाद मेंं शिकायत नहीं कर सकता अगर लोग उस पर कदम रखें।
  • एक आदमी जानवरों के साथ कैसा बरताव करता है उसी से हम उसके व्यवहार को समझ सकते है।
  • मानवता की कुटिल लकड़ी में से , कोई सीधी चीज कभी नहीं बनाई गई थी।
  • हठधर्मिता की मृत्यु नैतिकता का जन्म है।
  • धीरज रखो ; निंदक दीर्घजीवी नहीं होते हैं। सत्य समय का बच्चा है ; वह तुझ से लिपटेगी।
  • जानने की हिम्मत ! अपनी बुद्धि का उपयोग करने का सहास रखें।
  • लोगों को एक अंत के रुप में समझो , और एक अंत के साधन के रुप में कभी नहीं।
  • सभी अच्छी पुस्तकों का पढ़ना पिछली शताब्दियों के बेहतरीन दिमागों के साथ बातचीत की तरह है।
  • दो चीजें जिनका अर्थ जरुरी नहीं है, एक संगीत और दूसरा हास्य।
  • सबसे बड़ी मानवीय खोज यह जानना है कि मनुष्य बनने के लिए उसको क्या करना चाहिए।
  • जितना हम व्यस्त रहते हैं उतना ही तीव्रता से हम महसूस करते हैं जितना हम जीते हैं उतना ही अधिक जीवन के प्रति हम जागरुक होते हैं।
  • सिद्धांतवाद की मृत्यु नैतिकता का जन्म है।
  • विज्ञान , संगठित ज्ञान है। बुद्धि संगठित जीवन है।
  • खुशी के नियम ! कुछ करना , किसी को प्यार करना , कुछ अच्छे की आशा करना।
  • सोचने का साहस रखें ! जानने की इच्छा रखे ! अपनी बुद्धि का उपयोग करने का साहस करे।