आरम्भ

विकिसूक्ति से
  • यत्रोत्साहसमारम्भो यत्रालस्य विहीनता ।
नयविक्रम संयोगस्तत्र श्रीरचला ध्रुवम् ॥ -- पञ्चतन्त्र
जहाँ उत्साह है, आरम्भ (पहल) है, और आलस्य नहीं है, नय (नीति) और पराक्रम का समुचित समन्वय है, वहाँ से लक्ष्मी कहीं और नहीं जाती, यह निश्चित है।
  • शुभस्य शीघ्रम् (शुभ कार्य शीघ्रातशीघ्र आरम्भ करना चाहिये।)
  • दीर्घसूत्री विनश्यति । (जो कार्य को आरम्भ करने में आलस्य करते हैं, उनका विनाश होता है।)
  • छोटा आरम्भ करो, शीघ्र आरम्भ करो।
  • शुभारम्भ हुआ, समझो आधा काम हो गया।
  • हजारों मील की यात्रा भी प्रथम चरण से ही आरम्भ होती है। -- चीनी कहावत
  • प्रारम्भ के समान ही उदय भी होता है । ( प्रारम्भसदृशोदयः ) -- रघुवंश महाकाव्यम्
  • प्रारभ्यते न खलु विघ्नभयेन नीचैः
प्रारभ्य विघ्नविहता विरमन्ति मध्याः ।
विघ्नैः पुनः पुनरपि प्रतिहन्यमानाः
प्रारभ्य तूत्त्मजना न परित्यजन्ति ॥ -- मुद्राराक्षस तथा पञ्चतन्त्र (काकोलुकीयम्)
नीच लोग विघ्न के भय से कोई कार्य नहीं करते ; मध्यम श्रेणी के लोग कार्य को आरम्भ करके विघ्न पड़ने पर बीच में में ही छोड़ देते हैं ; परन्तु उत्तम लोग बार-बार विघ्न पड़ने पर भी आरम्भ किए हुए कार्य को बीच में नहीं छोड़ते।
  • प्रेरणा किसी कार्य आरम्भ करने में सहायता करती है और आदत उस कार्य को जारी रखने में सहायता करती है। -- विनोबा भावे
  • बुद्धि का पहला लक्षण है काम आरम्भ न करो और अगर शुरू कर दिया है तो उसे पूरा करके ही छोड़ो। -- विनोबा भावे
  • निश्चित ही राज्य तीन शक्तियों के अधीन है । शक्तियाँ मंत्र , प्रभाव और उत्साह हैं जो एक दूसरे से लाभान्वित होकर कर्तव्यों के क्षेत्र में प्रगति करती हैं । मंत्र ( योजना , परामर्श ) से कार्य का ठीक निर्धारण होता है , प्रभाव ( राजोचित शक्ति , तेज ) से कार्य का आरम्भ होता है और उत्साह ( उद्यम ) से कार्य सिद्ध होता है । -- दसकुमारचरित
  • आरम्भ करने के लिए आपको महान होने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन आपको महान बनने के लिए आरम्भ करना होगा। -- लेस ब्राउन
  • जीवन की सबसे बड़ी क्षति मृत्यु नहीं है। सबसे बड़ी क्षति तो वह है जो हमारे अन्दर ही मर जाती है। -- नार्मन कजिन
  • आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है। -- सैली बर्जर
  • जो कुछ आप कर सकते हैं या कर जाने की इच्छा रखते है उसे करना आरम्भ कर दीजिये। निर्भीकता के अन्दर मेधा ( बुद्धि ), शक्ति और जादू होते हैं। -- गोथे
  • यदि सारी आपत्तियों का निस्तारण करने लगें तो कोई काम कभी भी आरम्भ ही नही हो सकता।

इन्हें भी देखें[सम्पादन]