आयु

विकिसूक्ति से
  • आशा हि लोकान् बध्नाति कर्मणा बहुचिन्तया ।
आयुः क्षयं न जानाति तस्मात् जागृहि जागृहि ॥
बडी बड़ी चिंताएं कराके, कर्मो द्वारा आशा मनुष्य को बन्धन में डालती है । इससे अपने आयुष्य का क्षय हो रहा है, उसका उसे भान नहीं रहता। इस लिए “जागृत हो, जागृत हो ।”
  • जो सीखना छोड़ देता है वो बूढा है, चाहे बीस का हो या अस्सी का। जो सीखता रहता है वो जवान रहता है। ज़िन्दगी की सबसे बड़ी चीज है अपने दिमाग को जवान रखना।
  • सौ वर्ष जीने की कामना रखते हो तो जवाब और हंसमुख मित्रों के बीच रहो। -- एलिजाबेथ सैफ़ोर्ड
  • लज्जा युवाओं के लिए एक आभूषण, लेकिन बुढ़ापे के लिए एक तिरस्कार है।
  • जवानी में हम मुसीबतों के पीछे भागते हैं, बुढापे में मुसीबतें हमारे पीछे।

इन्हें भी देखें[सम्पादन]