"भारत": अवतरणों में अंतर
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;गायन्ति |
;गायन्ति देवाः किल गीतकानि धान्यास्तु ये भारतभूमिभागे। <br> |
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;स्वर्गापवर्गास्पदहेतुभूते भवन्ति |
;स्वर्गापवर्गास्पदहेतुभूते भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात्।। |
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– अर्थात् स्वर्ग और अपवर्ग (मोक्ष-कैवल्य) के मार्ग स्वरूप भारत-भूमि को धन्य धन्य कहते हुए देवगण इसका शौर्य-गान गाते हैं। यहां पर मनुश्य जन्म पाना देवत्व पद प्राप्त करने से भी बढकर है। |
– अर्थात् स्वर्ग और अपवर्ग (मोक्ष-कैवल्य) के मार्ग स्वरूप भारत-भूमि को धन्य धन्य कहते हुए देवगण इसका शौर्य-गान गाते हैं। यहां पर मनुश्य जन्म पाना देवत्व पद प्राप्त करने से भी बढकर है। |
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;एत देश प्रसूतस्य सकाशादग्र |
;एत देश प्रसूतस्य सकाशादग्र जन्मनः । <br> |
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;स्वं स्वं चरित्र शिक्षेरन् पृथिव्यां सर्व मानवा: ।। |
;स्वं स्वं चरित्र शिक्षेरन् पृथिव्यां सर्व मानवा: ।। |
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१०:१६, १५ जुलाई २०११ का अवतरण
- गायन्ति देवाः किल गीतकानि धान्यास्तु ये भारतभूमिभागे।
- स्वर्गापवर्गास्पदहेतुभूते भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात्।।
– अर्थात् स्वर्ग और अपवर्ग (मोक्ष-कैवल्य) के मार्ग स्वरूप भारत-भूमि को धन्य धन्य कहते हुए देवगण इसका शौर्य-गान गाते हैं। यहां पर मनुश्य जन्म पाना देवत्व पद प्राप्त करने से भी बढकर है।
- एत देश प्रसूतस्य सकाशादग्र जन्मनः ।
- स्वं स्वं चरित्र शिक्षेरन् पृथिव्यां सर्व मानवा
- ।।
अर्थात एस देश में उत्पन्न अग्रजन्मा महापुरुषों के पास बैठ कर संसार भर के मानव अपने-अपने चरित्र की शिक्षा ग्रहण करें। क्योंकि यह “विश्व-गुरू” है।
- यूनान मिश्र रोमन, सब मिट गए जहां से,
- बाकी मगर है अब तक, नामो निशां हमारा
- कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी
- सदियों रहा है दुश्मन, दौर ए जहां हमारा
-- मुहम्मद इक़बाल