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  • तुमने प्राप्त किया है, उसे वैध-पवित्र समझकर खाओ और अल्लाह का डर रखो।” (८।६९, पृ० १५६) समीक्षक-”भला ! यह कौन-सी न्याय, विद्धत्ता और धर्म की बात है कि जो...
    ८३ KB (६,५९० शब्द) - ०८:०४, ३१ अगस्त २०२३