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  • परमेश्वर कृत और इसमें कहा हुआ परमेश्वर भी नहीं हो सकता। (सत्यार्थ प्रकाश, पृ० ५८४) ”(जो आयतें उतर ही हैं) वे तत्वज्ञान से परिपूर्ण किताब की आयतें हैं।” (३१।२)...
    ८३ KB (६,५९० शब्द) - ०८:०४, ३१ अगस्त २०२३