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  • मयूरों की प्रतिध्वनि हो रही है, उसमें भी जब कभी दूर से साँझ को वा बड़े सबेरे नौबत की सुहानी धुन कान में आती है तो कुछ ऐसी भली मालूम पड़ती है कि एक प्रकर की...
    ९६ KB (७,४६३ शब्द) - ००:२२, १७ मार्च २०१४
  • धाम चहुं ओर फरहरत धुजा पताका। घहरत घंटा धुनि धमकत धौंसा करि साका ।। मधुरी नौबत बजब कहूं नारि नर गावत। बेद पढ़त कहुं द्विज कहुं जोगी ध्यान लगावत। कहूं सुंदरी...
    १७८ KB (१४,५३५ शब्द) - ००:०३, ११ मार्च २०१४