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  • का प्रकाशन आरंभ किया। यह पत्रिका आज 30 से अधिक भाषाओं में प्रकाशित की जाती है। 1966 के जुलाई महीने में स्वामी श्री भक्ति वेदांत जी ने अंतरराष्ट्रीय कृष्ण...
    १४ KB (१,०९९ शब्द) - ११:१२, २६ अगस्त २०२३
  • भी ख़त्म हो गया और आदमीयत भी....! -स्मृति शेष (कविता संग्रह), कथ्यरूप प्रकाशन, 2002. किसी दरिया, किसी मझदार से नफ़रत नहीं करता। सही तैराक हो तो धार से...
    १२ KB (७९१ शब्द) - ०७:५५, १५ मई २०२२
  • होना , आज की सबसे बडी समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं । — श्रीराम...
    ८१ KB (५,९८३ शब्द) - ११:४६, १९ अक्टूबर २०२२
  • होना , आज की सबसे बडी समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं । — श्रीराम...
    २८१ KB (१९,७५२ शब्द) - १४:५५, ११ जनवरी २०२३
  • होना , आज की सबसे बडी समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं । — श्रीराम...
    २५७ KB (१९,१५७ शब्द) - १०:१८, ८ मार्च २०२२
  • होना , आज की सबसे बडी समस्या है । लोग स्वतन्त्र चिन्तन करके परमार्थ का प्रकाशन नहीं करते बल्कि दूसरों का उटपटांग अनुकरण करके ही रुक जाते हैं । — श्रीराम...
    ३०४ KB (२१,२०६ शब्द) - २१:०८, ३ फ़रवरी २०२२