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  • सूक्ष्म रुप से है। जब धर अधर का परिचय हो जाता है, तब मूलस्थ कुंडलिनी शक्ति का सहस्त्रारस्थ शिव से परिचय हो जाता है। तब साधक के निज अनुभव ज्ञान से बाहर कुछ...
    ४८५ KB (३९,२९५ शब्द) - १६:१३, १९ फ़रवरी २०२३