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  • भारतेन्दु हरिश्चन्द्र (९ सितंबर १८५०- जनवरी १८८५) आधुनिक हिंदी साहित्य के पितामह कहे जाते हैं। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। इनके द्वारा रचित मौलिक नाटक...
    २६ KB (१,९४३ शब्द) - ०७:०८, १४ जुलाई २०२३
  • में लिप्त हो जाएंगे तो। — ओबर्लिन कॉलेज में फिन्नी चैपल में दिया गया भाषण ( फरवरी १९५७), जैसा कि सिंडी लीसे द्वारा "व्हेन एमएलके केम टू ओबर्लिन" (द क्रॉनिकल-टेलीग्राम;...
    १२२ KB (८,४८५ शब्द) - २२:४६, २ सितम्बर २०२४
  • निर्बलों की तवाही करे कृश वृक्ष को ज्यों पवन धराशाई।। — गौतम बुद्ध (धम्मपद ) संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं । श्रम से भूख तेज होती है...
    २८१ KB (१९,७५२ शब्द) - १४:५५, ११ जनवरी २०२३
  • निर्बलों की तवाही करे कृश वृक्ष को ज्यों पवन धराशाई।। —-गौतम बुद्ध (धम्मपद ) संयम और श्रम मानव के दो सर्वोत्तम चिकित्सक हैं । श्रम से भूख तेज होती है...
    ३०४ KB (२१,२०६ शब्द) - २१:०८, ३ फ़रवरी २०२२