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  • सितारेहिंद हमारी हिंदी भाषा का साहित्य किसी भी दूसरी भारतीय भाषा से किसी अंश से कम नहीं है। - (रायबहादुर) रामरणविजय सिंह वही भाषा जीवित और जाग्रत रह सकती...
    १०५ KB (७,०२६ शब्द) - २०:२८, २४ सितम्बर २०२३
  • प्रतिभा हम तुलसी में नहीं पाते। सूरसागर का सबसे मर्मस्पर्शी और वाग्वैदग्धपूर्ण अंश 'भ्रमरगीत' है जिसमें गोपियों की वचनवक्रता अत्यन्त मनोहारिणी है। ऐसा सुन्दर...
    ५६ KB (४,१५४ शब्द) - १७:०८, ५ दिसम्बर २०२२