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विधि

विकिसूक्ति से
(प्रक्रिया से अनुप्रेषित)

कोई कार्य पूरा करने के लिये जो प्रक्रिया अपनायी जाती है, उसे उस कार्य की विधि कहते हैं।

  • वेद के ५ विभाग है - विधि, मन्त्र. नामधेय, निषेध, अर्थवाद।

विधि - अज्ञातार्थज्ञापको वेदभागो विधिः (अग्निहोत्र जुहुयात् स्वर्गकामः)

मीमांसादर्शन में याज्ञिक विचार की दृष्टि से विधि के चार भेद माने गये हैं - (१) उत्पत्तिविधि,. (२) गुणविधि या विनियोगविधि, (३) अधिकारविधि. और ( ४ ) प्रयोगविधि ।

उत्पत्तिविधि - कर्मस्वरुपमात्रबोधकोविधिः ( अग्निहोत्रं जुहोति )

विनियोगविधि - अङ्गप्रधानसम्बन्धबोधको विधिः (दध्ना जुहोति)

अधिकार विधि - कर्मजन्यफलस्वाम्यबोधको विधिः (यजेत् स्वर्गकामः)

प्रयोगविधि - प्रयोगप्राशुभावबोधको विधिः

उक्तियाँ

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  • अज्ञातस्याऽनुष्ठेयत्वकथनं विधिः -- जैमिनीयन्यायमालाविस्तरः, प्रथमाध्याय
विधि का अर्थ है किसी अज्ञात या अनिश्चित कार्य को करने के लिए निर्देश देना या विधान करना।
  • उत्साहसम्पन्नमदीर्घसूत्रं क्रियाविधिज्ञं व्यसनेष्वसक्तम् ।
शूरं कृतज्ञं दृढसौह्रदं च लक्ष्मीः स्वयं याति निवासहेतोः ॥
जो व्यक्ति उत्साही है, शीघ्र कार्य सम्पन्न करने वाला है, व्यापार मे कुशल है, व्यसनों से दूर रहने वाला है, शूर, कृतज्ञ तथा मित्रता निभाने वाला होता है, धन संपत्ति की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी स्वयं ऐसे गुणसम्पन्न व्यक्ति के यहां निवास करने की इच्छा रखती हैं।
पहले ही ( बिना साम, दान , दण्ड का सहारा लिये ही ) युद्ध करना कोई (अच्छा) तरीका नहीं है ।
  • अज्ञातार्थज्ञापको वेदभागो विधिः

इन्हें भी देखें

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