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भय

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(डर से अनुप्रेषित)

भय, या डर। भय की अनुपस्थिति को अभय या निडरता कहते हैं।

उक्तियाँ

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  • ओउम् मा भेर्मा संविक्था ऊर्जं धत्स्व धिषणे वीड्वीसती ।
वीडयेथामूर्ज दधाथाम् । पाप्मा हतो न सोमः ॥ -- यजुर्वेद 6.35
हे मानव ! डर मत , कम्पायमान मत हो, मत घबड़ा। बल, साहस, पराक्रम धारण कर । वाणी और विद्या का आश्रय लेकर और इन दोनों के आश्रय से बलवान् होकर पुरूषार्थ करो पराक्रम करो, जौहर दिखाओ । पाप करनेवाला शत्रु, पापी मारा जाए, नष्ट हो जाए । सौम्यगुणयुक्त, सदाचारी पुरूषों का नाश न हो।
  • यथा द्यौश्च पृथिवी च न बिभीतो न रिष्यतः ।
एवा मे प्राण मा विभेः ॥१॥
यथाहश्च रात्रीं च न बिभीतो न रिष्यतः ।
एवा मे प्राण मा विभेः ॥२॥
यथा सूर्यश्च चन्द्रश्च न बिभीतो न रिष्यतः ।
एवा मे प्राण मा विभेः ॥३॥
यथा ब्रह्म च क्षत्रं च न बिभीतो न रिष्यतः ।
एवा मे प्राण मा विभेः ॥४॥
यथा सत्यं चानृतं न बिभीतो न रिष्यतः ।
एवा मे प्राण मा विभेः ॥५॥
यथा भूतं च भव्यं च न बिभीतो न रिष्यतः ।
एवा मे प्राण मा विभेः ॥६॥ -- (अथर्ववेद, काण्ड 2, सूक्त 15
(१) जिस प्रकार आकाश एवं पृथिवी न भयग्रस्त होते हैं और न इनका नाश होता है, उसी प्रकार हे मेरे प्राण तुम भी भयमुक्त रहो ।
(२) जिस प्रकार दिन एवं रात को भय नहीं होता और इनका नाश नहीं होता, उसी प्रकार हे मेरे प्राण तुम्हें भी भय नहीं होवे ।
(३) जिस प्रकार सूर्य एवं चंद्र को भय नहीं सताता और इनका विनाश नहीं होता, उसी भांति हे मेरे प्राण तुम भी भय अनुभव न करो ।
(४) जैसे ब्रह्म एवं उसकी शक्ति को कोई भय नहीं होता और उनका विनाश नहीं होता, वैसे ही हे मेरे प्राण तुम भय से मुक्त रहो ।
(५) जैसे सत्य तथा असत्य किसी से भय नहीं खाते और इनका नाश नहीं होता, वैसे ही हे मेरे प्राण तुम्हें भी भय नहीं होना चाहिए ।
(६) जिस भांति भूतकाल तथा भविष्यत्काल को किसी का भय नहीं होता और जिनका विनाश नहीं होता, उसी भांति हे मेरे प्राण तुम भी भय से मुक्त रहो ।
  • हे प्रभु हमे निर्भय बनाओ।
  • हे मेरे प्राण! जैसे वायु और आकाश न भय को प्राप्त होते हैं और न क्षीण होते हैं, वैसे ही तू भी न भय को प्राप्त हो और न क्षीण हो। -- अथर्ववेद
  • यतो यतः समीहसे ततो नो अभयं कुरु।
शं नः कुरु प्रजाभ्यो अभयं नः पशुभ्यः।। -- यजुर्वेद ३६.२२।
हे परमेश्वर! आप जिस-जिस देश से जगत् के रचना और पालन के अर्थ चेष्टा करते हैं, उस-उस देश से हमको भय से रहित करिए, अर्थात् किसी देश (स्थान) से हमको किञ्चित् भी भय न हो, वैसे ही सब दिशाओं में जो आपकी प्रजा और पशु हैं, उनसे भी हमको भयरहित करें तथा हमसे उनको सुख हो, और उनको भी हम से भय न हो तथा आपकी प्रजा में जो मनुष्य और पशुआदि हैं, उन सबसे जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष पदार्थ हैं, उनको आपके अनुग्रह से हमलोग शीघ्र प्राप्त हों, जिससे मनुष्य जन्म के धर्मादि जो फल हैं, वे सुख से सिद्ध हों। (ऋग्वेदादि भाष्यभूमिका)
  • न विश्वसेदविश्वस्ते विश्वस्ते नातिविश्वसेत्।
विश्वासाद्भयमुत्पन्नमपि मूलान्यपि निकृन्तति॥ -- महाभारत
जो व्यक्ति अविश्वसनीय हैं उस पर तो विश्वास करना ही नहीं चाहिए। विश्वसनीय व्यक्ति पर भी अत्यधिक विश्वास नहीं करना चाहिए क्योंकि अत्यधिक विश्वास के कारण समूल नाश होने का संकट संभव हैं। चाहें तो दूसरों के मन में अपने प्रति जरूर विश्वास निर्माण करें, लेकिन उन पर आत्यंतिक विश्वास न रखें।
  • अभयं सर्वभूतेभ्यो दत्त्वा यश्चरते मुनिः ।
तस्यापि सर्वभूतेभ्यो न भयं विद्यते क्वचित् ॥ -- विष्णुपुराण ३/९/३१
  • अभयं सत्त्वसंशुद्धिः ज्ञानयोगव्यवस्थितिः।
दानं दमश्च यज्ञश्च स्वाध्यायस्तप आर्जवम्।। -- गीता, 16.1
  • स्वल्पमप्यस्य धर्मस्य त्रायते महतो भयात्॥ -- गीता
धर्म (निष्काम कर्मयोग) का अति अल्प अनुष्ठान भी महान भय से रक्षा करता है।
  • तावत् भयस्य भेतव्यं यावत् भयं न आगतम् ।
आगतं हि भयं वीक्ष्य प्रहर्तव्यं अशंकया ॥ -- पञ्चतन्त्र
भय से तब तक ही डरना चाहिये जब तक भय (पास) न आया हो । आये हुए भय को देखकर बिना शंका के उस पर प्रहार करना चाहिये ।
  • व्यवस्थितः प्रशांतात्मा कुपितोऽप्यभयंकरः ।
अव्यवस्थितचित्तस्य प्रसादोऽपि भयंकरः ॥ -- समयोचितपद्यमालिका
व्यवस्थित और शान्त चित्त वाला व्यक्ति कुपित भी हो जाय तो भयंकर नहीं होता। किन्तु अव्यवस्थित चित्त का व्यक्ति यदि प्रसन्न होकर प्रसाद भी दे तो वह भयंकर होता है।
  • भोगे रोगभयं कुले च्युतिभयं वित्ते नृपालाद्भयं
माने दैन्यभयं बले रिपुभयं रूपे जराया भयम् ।
शास्त्रे वादिभयं गुणे खलभयं काये कृतान्ताद्भयं
सर्वं वस्तु भयान्वितं भुवि नृणां वैराग्यमेवाभयम् ॥ -- भर्तृहरि, वैराग्यशतक
भोग में रोग का भय, पद में पतन का भय, धन में शत्रुओं का भय, मान में अपमान का भय, बल में शत्रुओं का भय, सौन्दर्य में बुढ़ापे का भय, शास्त्र-विद्या में विरोधियों का भय, सद्गुण में निन्दा करने वालों का भय, शरीर में मृत्यु का भय। इस संसार की सभी वस्तुएँ मनुष्य के लिए भय से युक्त हैं; त्याग ही निर्भयता का प्रतीक है।
  • महतामपि दानानां कालेन क्षीयते फलम् ।
भीताऽभय प्रदानस्य क्षय एव न विद्यते ॥ --
बडे से बड़े दान का भी समय के साथ क्षय हो जाता है। पर भयभीत हुए को अभयदान दिया गया हो, तो उसका क्षय कभी नहीं होता।
  • भूताभयप्रदानेन सर्वान्कामानवामुयात् ।
दीर्घमायुः च लभते सुखी चैव सदा भवेत् ॥
प्राणियों को अभय देकर सब कामना प्राप्त होती है, दीर्घायुष्य और सदा सुख प्राप्त होता है ।
  • यो ददाति सहस्त्राणि गवामश्व शतानि च ।
अभयं सर्वसत्वेभ्य स्तद्दानमिति चोच्यते ॥
जो हजारों गाय और सैंकडो घोडे देता है, और सब प्राणियों को अभय देता है, उसे दान कहते हैं ।
  • अभयं सर्वसत्वेभ्यो यो ददाति दयापरः ।
तस्य देहाद्विमुक्तस्य भयं नास्ति कुतश्चन ॥
जो दयालु सब प्राणियों को अभय देता है, उसे मृत्यु के पश्चात् कहीं से भी भय नहीं रहता ।
  • यो भूतेष्वभयं दद्यात् भूतेभ्यस्तस्य नो भयम् ।
यादृग् वितीर्यते दानं तादृगासाद्यते फलम् ॥
जो प्राणियों को अभय देता है, उसे प्राणियों से भय नहीं रहेता । जैसा दान दिया जाता है, वैसा ही फल मिलता है ।
  • एकतः काञनो मेरुः बहुरत्ना वसुन्धरा ।
एकतो भयभीतस्य प्राणिनः प्राणरक्षणम् ॥
(तराजू के) एक पलड़े में सुवर्ण का मेरु पर्वत, और बहुरत्ना वसुंधरा है, और दूसरे में भयभीत प्राणी को दिया हुआ जीवनदान है (दोनों समान हैं) ।
  • महतामपि दानानां कालेन क्षीयते फलम् ।
भीताऽभय प्रदानस्य क्षय एव न विद्यते ॥
बडे दान का भी समय आने पर क्षय होता है । पर भयभीत हुए को अभयदान दिया हो, उसका क्षय नहीं होता ।
  • दत्तमिष्टं तपस्तप्तं तीर्थसेवा तथा श्रुतम् ।
सर्वेऽप्यभय दानस्य कलां नार्हन्ति षोडशीम् ॥
इच्छित वस्तु का दान, तप का आचरण, तीर्थसेवा, ज्ञान – ये सब अभयदान की शोभा के सोलहवें भाग जितने भी नहीं ।
  • यो दद्यात् काञ्चनं मेरुं कृत्स्नां चैव वसुन्धराम् ।
एकस्य जीवितं दद्यात् न च तुल्यं युधिष्ठिर ॥
हे युधिष्ठिर ! जो सुवर्ण, मेरु और समग्र पृथ्वी दान में देता है, वह (फिर भी) एक मनुष्य को जीवनदान देनेवाले दान का मुकाबला नहीं कर सकता ।
  • हेमधेनुधरादीनां दातारः सुलभा भुवि ।
दुर्लभः पुरुषः लोके यः प्राणिष्वभयप्रदः ॥
इस दुनिया में सोना (सुवर्ण), गाय, पृथ्वी (ज़मीन) इ. देनेवाले सुलभ है, पर प्राणीयों को अभयदान देनेवाले इन्सान दुर्लभ हैं ।
  • वरमेकस्य सत्वस्य दत्ता ह्यभय दक्षिणा ।
न तु विप्रसहस्त्रेभ्यो गोसहस्र मलड्कतम् ॥
हजार विप्रों को, सजायी हुई हजारों गायों के मुकाबले केवल एखाद प्राणी को “अभय” दक्षिणा देना ज़ादा योग्य है ।
  • जीवानां रक्षणं श्रेष्ठं जीवा जीवितकांक्षिणः ।
तस्मात्समस्त दानेभ्योऽभयदानं प्रशस्यते ॥
जीवों का रक्षण श्रेष्ठ है । जीव जीने की इच्छा रखनेवाले होते हैं, इस लिए सब दानों में अभयदान प्रशंसा के पात्र हैं।
  • बिनय न मानत जलधि जड़ गए तीनि दिन बीति।
बोले राम सकोप तब भय बिनु होइ न प्रीति ॥ -- रामचरितमानस
  • जो लोग भय का हेतु अथवा हर्ष का कारण उपस्थित होने पर भी विचार विमर्श से काम लेते हैं तथा कार्य की जल्दी से नहीं कर डालते, वे कभी भी सन्ताप को प्राप्त नहीं होते। -- पञ्चतन्त्र
  • ‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं। -- बर्ट्रेंड रसेल
  • मित्र से, अमित्र से, ज्ञात से, अज्ञात से हम सब के लिए अभय हों। रात्रि के समय हम सब निर्भय हों और सब दिशाओं में रहनेवाले हमारे मित्र बनकर रहें। -- अथर्ववेद
  • मनुष्य केवल दो लीवर के द्वारा चलता रहता है : डर तथा स्वार्थ । -- नेपोलियन
  • डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है। -- एमर्सन
  • अभय-दान सबसे बडा दान है।
  • भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं। -- विवेकानन्द
  • ‘भय’ और ‘घृणा’ ये दोनों भाई-बहन लाख बुरे हों पर अपनी मां बर्बरता के प्रति बहुत ही भक्ति रखते हैं। जो कोई इनका सहारा लेना चाहता है, उसे ये सब से पहले अपनी मां के चरणों में डाल जाते हैं। -- बर्ट्रेंड रसेल
  • अगर आज हम अपने डर पे काबू नहीं पा लेते है तो कल हमारा डर हम पे काबू पा लेंगा । -- Gautama Buddha
  • अगर सांप जहरीला न भी हो तो उसे खुद को जहरीला दिखाना चाहिए । -- Chanakya
  • अधिनायकवादी राज्य की सबसे बड़ी शक्ति यह है की जो लोग उसका अनुशरण करने से डरते हैं वह उनपर बल प्रयोग करता है। -- एडोल्फ हिटलर
  • अपमान का डर क़ानून के डर से कम क्रियाशील नहीं होता। -- प्रेमचंद
  • अपराध करने के बाद भय उत्पन्न होता है और यही उसका दंड है। -- वाल्टेयर
  • अहंकार,दरअसल वास्तविकता में आप नहीं हैं। अहंकार आपकी अपनी छवि है; ये आपका सामजिक मुखौटा है; ये वो पात्र है जो आप खेल रहे हैं। आपका सामजिक मुखौटा प्रशंशा पर जीता है।वो नियंत्रण चाहता है, सत्ता के दम पर पनपता… -- Deepak Chopra
  • आप जिस काम को करने से डरते है उसे करिए और करते रहिये, अपने डर पर काबू पाने का यह अब तक खोजा गया सबसे अच्छा तरीका है। -- डेल कारनेगी
  • आपका जीवन महान हो इसके लिए आपका विश्वास आपके भय से बड़ा होना चाहिये। -- रोबिन शर्मा
  • आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है। असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं, वो शत्रु हैं क्रोध, घमंड, लालच, आसक्ति और नफरत । -- भगवान महावीर
  • इससे बड़ी त्रासदी और क्या होगी कि हम सभी सदा एक-दुसरे से डरे रहते हैं। -- वेदान्त तीर्थ
  • उनसे मत डरो जो बहस करते हैं, उनसे डरो जो छल करते हैं। -- डेल कारनेगी
  • उस तरह मत चलिए जिस तरह डर आपको चलाये। उस तरह चलिए जिस तरह प्रेम आपको चलाये। उस तरह चलिए जिस तरह ख़ुशी आपको चलाये। -- ओशो रजनीश
  • उस तरह से मत चलिए जिस तरह से डर आपको चलाये, बल्कि उस तरह चलिए जिस तरह ख़ुशी आपको चलाये, उस तरह चलिए जिस तरह प्रेम आपको चलाये। -- ओशो
  • उस शिक्षा का क्या महत्व जो हमारे अंदर गलत को सही करने का जूनून और निडरता न पैदा कर सके। -- किरण बेदी
  • उससे मत डरो जो वास्तविक नहीं है, ना कभी था ना कभी होगा।जो वास्तविक है, वो हमेशा था और उसे कभी नष्ट नहीं किया जा सकता। -- भगवत्गीता
  • एक नायक बनो और सदैव यह कहो “मुझे कोई डर नहीं है” । -- स्वामी विवेकानन्द
  • एक बार धोखा खाया हुआ मनुष्य सत्य में भी विनाश का संदेह करने लगता है। सांप का काटा रस्सी से भी डरने लगता है।- नारायण पंडित
  • एक शेर से ज्यादा एक दमनकारी सरकार से डरना चाहिए। -- कन्फ्यूसिअस
  • एक शेर से ज्यादा दमनकारी सरकार से डरना चाहिए । -- कन्फुशियस
  • एक सबसे अच्छी बात जो शेर से सीखी जा सकती है, वह यह है कि व्यक्ति जो कुछ भी करना चाहता है उसे पूरे दिल से एक जोरदार प्रयास के साथ करे । -- चाणक्य
  • ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो हम फेंक देते यदि हमें इस बात का चिंता नहीं होती की कोई और उन्हें उठा लेगा। -- Oscar Wilde
  • औरत एक मात्र ऐसा प्राणी है जिससे मैं ये जानते हुए भी की वो मुझे चोट नहीं पहुंचाएगी, डरता हूँ। -- अब्राहम लिंकन
  • कामयाबी उन्ही लोगों के कदम चूमती है, जो अपनें फ़ैसलों से दुनियाँ बदल कर रख देते हैं और नाकामयाबी उन लोगों का मुकद्दर बन कर रह जाती है जो लोग दुनियाँ के डर से अपनें फैसले बदल दिया करते हैं। -- Unknown
  • किसी जंगली जानवर की अपेक्षा एक कपटी एवं दुष्ट मित्र से जयादा डरना चाहिए, जानवर तो केवल आपके शरीर को नुक्सान पहुंचा सकता है, परन्तु एक बुरा मित्र आपकी बुद्धि को नुक्सान पहुंचा सकता है। --
  • मृत्यु अटल है, अतः उससे भी भय नहीं। असली भय तो मृत्युपूर्व किये कर्मों का है। -- वाल्मीकि
  • केवल एक ही चीज है जो सपने को पूरा होना असंभव बनाती है, और वह है असफलता का डर। -- पाउलो कोयलों
  • कोई भी उस व्यक्ति से प्रेम नहीं करता जिससे वह डरता है। -- आरस्तु
  • कोई भी व्यक्ति बहुत ज्यादा बोलते रहने से कुछ नहीं सीख पाता; समझदार व्यक्ति धीरज रखने वाला, क्रोधित न होने वाला एवं निडर होता है। -- गौतम बुद्ध
  • खतरा उनके सिर पर सदैव मंडराता रहता है, जो उससे डरते हैं। -- जार्ज बर्नाड शॉ
  • जन साधारण की दृष्टि में सब धनी व्यक्ति ऊँचे दिखाई देते हैं। लोग उनसे ईर्ष्या करते हैं कि वे धनी, शक्तिशाली, सम्मानित, आदरणीय हैं। किन्तु वे धनी हर घड़ी कांपते रहते हैं कि उन्हें जो समझा जाता है, वस्तुतः वे ऐसे हैं नहीं। वे भयभीत हैं कि कहीं उनकी कलई न खुल जाए। -- स्वेट मार्डेन
  • जब आप किसी काम की शुरुआत करें, तो असफलता से न डरें और उस काम को न छोड़ें। जो लोग ईमानदारी से काम करते हैं वह सबसे प्रसन्न होते हैं । -- चाणक्य
  • जब सभी लालची हो जाते हैं तो हम डर के रहते है, और जब सभी डर जाते है तब हम लालची बन जाते हैं। -- वारेन बफेट
  • जब सभी लालची हो जाते हैं तो हम डर के रहते हैं, और जब सभी डर जाते हैं तब हम लालची बन जाते हैं। -- वारेन बफेट
  • जहाँ सम्मान है वहां डर है, पर ऐसी हर जगह सम्मान नहीं है जहाँ डर है, क्योंकि संभवता डर सम्मान से ज्यादा व्यापक है। -- सुकरात
  • जिंदगी की सबसे बड़ी जोखिम, कोई भी “जोखिम न लेना” हैं। -- बिल गेट्स
  • जिन्हें पसीना सिर्फ गर्मी और भय से आता है, वो श्रम के पसीने से बहुत डरते है। -- हरिशंकर परसाई
  • जिस प्रकार बच्चे अधेंरे में जाने से भयभीत होते हैं, उसी प्रकार मनुष्य मृत्यु से भयभीत होते हैं। -- जर्मन लोकोक्ति
  • जिससे प्रायः हम डरते हैं, कालान्तर में उसी से घृणा करते हैं।- शेक्सपीयर
  • जिसे जीत लिए जाने का भय होता है, उसकी हार निश्चित होती है। -- नेपोलियन बोनापार्ट
  • जिसे भविष्य का भय नहीं है, वही वर्तमान का आनंद उठा सकता है। --
  • जैसे पके फलों को गिरने के अतिरिक्त कोई भय नहीं, उसी प्रकार जिसने ज्ञान लिया है, उस मनुष्य को मृत्यु
  • जैसे ही भय आपके करीब आये, तुरंत उस पर आक्रमण कर उसे नष्ट कर दीजिये। -- चाणक्य
  • जो भविष्य का भय नहीं करता वहीं वर्तमान का आनंद ले सकता हैं। -- फुलर
  • जो यही सोचकर भयभीत रहता है कि कहीं हार न जाए, वह निश्चित रूप से हारेगा। -- नेपोलियन बोनापार्ट
  • डर अन्धविश्वास और क्रूरता का मुख्या श्रोत है, डर को जीतना ज्ञान की शुरुआत है। -- बर्त्रंद रसेल
  • डर कहीं और नहीं बस आपके दिमाग में होता है। -- डेल कारनेगी
  • डर का न होना सहस नहीं है, बल्कि डर पर विजय पाना साहस है बहदुर वह नहीं है जो भयभीत नहीं होता, बल्कि वह है जो डर को परास्त करता है। -- नेल्सन मंडेला
  • डर दूरदर्शिता की जननी है। -- थॉमस हार्डी
  • डर बुराई की अपेक्षा से उत्पन्न होने वाले दर्द है। -- अरस्तू
  • डर में जीना आधे जीवित रहने जैसा है। --
  • डर सदैव अज्ञानता से पैदा होता है। -- एमर्सन
  • डर, मन की एक स्थिति के आलावा और कुछ भी नहीं है। -- नैपोलियन हिल
  • धर्म भय पर विजय है; असफलता और मौत का मारक है। -- सर्वेपल्ली राधाकृष्णन्
  • निडरता से डर को भी डर लगता है। --
  • निष्क्रियता संदेह एवं भय को जन्म देती है, कार्यवाही विश्वास और साहस को। -- डेल कारनेगी
  • बिना भय के साहस नहीं हो सकता। --
  • बुद्धिमानी से जीनेवालों को मौत से भी डर नहीं लगता। -- गौतम बुद्ध
  • भय की भावनाओं से धर्मों का प्रारम्भ हुआ, यह बात झूठी नहीं। -- जैनेन्द्र
  • भय के बिना प्रीति नहीं होती। -- तुलसीदास
  • भय से पैदा हुई कुप्रवृत्तियां पुरूषार्थ को खा जाती हैं। -- सर पी. सिडनी
  • भय से ही दुख आते हैं, भय से ही मृत्यु होती है और भय से ही बुराइयां उत्पन्न होती हैं । -- स्वामी विवेकानन्द
  • भय ही पतन और पाप का निश्चित कारण है। -- स्वामी विवेकानंद
  • भयमुक्त जीवन ही मानव मस्तिष्क की अव्यक्त अभिलाषा है। -- मिल्टन
  • भीरू को भय से जितनी पीड़ा होती है, उतनी सच्चे साहसी को उसका सामना करते भी नहीं होती। -- सिडनी
  • भूतों से सिर्फ उन्ही को डर लगता है, जो उनके बारे में सोचते है। --
  • भूल से भी दुसरे के सर्वनाश का विचार न करो, क्योंकि न्याय उसके विनाश की युक्ति सोचता है, जो दूसरों के साथ बुराई करना चाहता है। -- तिरूवल्लुवर
  • मनुष्य के दिल और दिमाग पर भय जितना प्रभाव डालता है, उतना प्रभाव कोई अन्य शक्ति नहीं। -- अज्ञात
  • मृत्यु से भय खाना कायरता है, क्योंकि जीवन का रहस्य तो मृत्यु में ही छिपा हैं। -- सुकरात
  • मैं आपसे बताता हूँ की आपके अंदर एक परमानंद का फव्बारा है, प्रशनंता का झरना है। आपके मूल के भीतर सत्य, प्रकाश, प्रेम है, वहां कोई अपराध बोध नहीं है, वहां कोई डर नहीं है। मनोवैज्ञानिकों ने कभी इतनी गहरे में नहीं देखा। -- श्री श्री रवि शंकर
  • मैं उस आदमी से नहीं डरता जिसने १०,००० किक्स की प्रेक्टिस एक बार की हो, बल्कि उस आदमी से डरता हूँ जिसने एक किक की प्रेक्टिस १०,००० बार की हो। -- ब्रूस ली
  • मैंने ये जाना है कि डर का ना होना साहस नही है, बल्कि डर पर विजय पाना साहस है। बहादुर वह नहीं है जो भयभीत नहीं होता, बल्कि वह है जो इस भय को परास्त करता है। -- नेल्सन मण्डेला
  • यदि आप भय और क्रोध से बिना उनका मतलब जाने छुटकारा पाना चाहते है, तो वो और शक्तिशाली होकर लौटेंगे। -- दीपक चोपडा
  • यदि आप भय पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं तो घर पर बैठ कर उसके बारे में सोचिए मत, बाहर निकलिए और व्यस्त हो जाईये। -- डेल कारनेगी
  • यदि कोई अपना पूरा समय मुझमें लगाता है और मेरी शरण में आता है तो उसे अपने शारीर और आत्मा के लिए कोई भय नहीं होना चाहिए। -- साईं बाबा
  • यदि तुम डरते हो तो किससे? यदि तुम ईश्वर से डरते हो तो मूर्ख हो, यदि तुम मनुष्य से डरते हो तो कायर हो, यदि तुम पंचभूतों से डरते हो तो उनका सामना करो। यदि तुम अपने आपसे डरते हो तो अपने आपको पहचानो और कहो कि मैं ही ब्रह्मा हूँ। -- स्वामी रामतीर्थ
  • याद रखिये सबसे बड़ा अपराध अन्याय सहना और गलत के साथ समझौता करना है। -- सुभाष चन्द्र बोस
  • लोग क्या सोंचेंगे इस बात की चिंता करने के बजाय क्यों ना हम कुछ ऐसा करने में समय लगाये जिसे प्राप्त करने पर लोग आपकी प्रसंशा करें। -- डेल कारनेगी
  • वह जो अपने परिवार के साथ बहुत अधिक जुडा हुआ है, उसे भय और चिंता का सामना करना पड़ता है, क्योकि सभी दुखो की वजह लगाव है, इसलिए खुश रहने के लिए लगाव छोड़ देना चाहिए। -- आचार्य चाणक्य
  • वह व्यक्ति जो भय या शंका से प्रभावित होता है, वहीं भय उसके नाश का कारण बन जाता है। -- अज्ञात
  • विपत्ति में हार तभी तक होती है, जब तक मनुष्य उससे डरता है। -- कन्फ्यूशियस
  • सभी प्रकार के भय में से बदनामी का भय सबसे बड़ा होता है। -- आचार्य चाणक्य
  • सभी व्यक्तियों को सजा से डर लगता है, एवं सभी मौत से डरते है| बाकी लोगों को अपने जैसा ही समझिये| इसीलिए खुद किसी जीव को न मारें और दूसरों को भी मना करें। -- गौतम बुद्ध
  • समय से साथ जिससे हम अक्सर डरते है उससे नफ़रत करने लगते हैं। -- विलियम शेक्सपियर
  • साहस यह जानने में है कि हमें किससे नहीं डरना है। -- प्लेटो
  • साहस ये जानना है कि किससे नहीं डरना है। -- प्लेटो
  • स्वतः भय से अधिक भयानक और कुछ भी नहीं। -- स्वामी विवेकनन्द
  • स्वतंत्रता का अर्थ जिम्मेदारी है। इसीलिए ज्यादातर लोग इससे डरते हैं। -- जार्ज बर्नार्ड शॉ
  • स्वभाव में जब भय घुल जाए तब कायरता का आरम्भ हो जाता हैं। -- रामचन्द्र शुक्ल
  • हजार छूरों की तुलना में चार विरोधी अखबारों से अधिक डरना चाहिए। -- नेपोलियन बोनापार्ट
  • हम निडर तब बनते है जब हम वो करते है जो करने से हमें डर लगता है। -- रोबिन शर्मा
  • हम यह प्रार्थना न करें की हमारे ऊपर खतरे न आये, बल्कि यह कहें की हम उनका सामना करने में निडर रहें। -- रविन्द्र नाथ टैगोर
  • हमारी सोच और हमारा व्यवहार हमेशा किसी प्रतिक्रिया की आशा में होते हैं। इसलिए ये डर पर आधारित हैं। -- दीपक चोपड़ा
  • हमें अतीत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए, न ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए। विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में ही जीते हैं। -- चाणक्य
  • हमेशा डरते रहने से एक बार ख़तरे का सामना कर डालना अच्छा है। -- नीतिसूत्र
  • हमेशा वो काम करो जिससे आपको डर लगता है। -- एमर्सन

इन्हें भी देखें

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