"रबीन्द्रनाथ ठाकुर": अवतरणों में अंतर
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रबीन्द्रनाथ ठाकुर
- "मित्रता की गहराई परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती।" - रबीन्द्रनाथ ठाकुर
- "जो कुछ हमारा है वो हम तक तभी पहुचता है जब हम उसे ग्रहण करने की क्षमता विकसित करते हैं। " - रबीन्द्रनाथ ठाकुर
- "वे लोग जो अच्छाई करने में बहुत ज्यादा व्यस्त होते है, स्वयं अच्छा होने के लिए समय नहीं निकाल पाते।"- रबीन्द्रनाथ ठाकुर
- "मौत प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है; ये सिर्फ दीपक को बुझाना है क्योंकि सुबह हो गयी है." - रबीन्द्रनाथ ठाकुर
- "मित्रता की गहराई परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती." - रबीन्द्रनाथ ठाकुर
कविता
चल तू अकेला!
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो तू चल अकेला, चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला! तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो चल तू अकेला, जब सबके मुंह पे पाश.. ओरे ओरे ओ अभागी! सबके मुंह पे पाश, हर कोई मुंह मोड़के बैठे, हर कोई डर जाय! तब भी तू दिल खोलके, अरे! जोश में आकर, मनका गाना गूंज तू अकेला! जब हर कोई वापस जाय.. ओरे ओरे ओ अभागी! हर कोई बापस जाय.. कानन-कूचकी बेला पर सब कोने में छिप जाय...
- रवीन्द्रनाथ ठाकुर