सामग्री पर जाएँ

"अटल बिहारी वाजपेयी": अवतरणों में अंतर

विकिसूक्ति से
छोNo edit summary
अटल बिहारी वाजपेयी
पंक्ति १: पंक्ति १:
==अटल बिहारी वाजपेयी==

* गरीबी बहुआयामी है. यह हमारी कमाई के अलावा स्वास्थय, राजनीतिक भागीदारी, और हमारी संस्कृति और सामाजिक संगठन की उन्नति पर भी असर डालती है.

* भारत में भारी जन भावना थी कि पाकिस्तान के साथ तब तक कोई सार्थक बातचीत नहीं हो सकती जब तक कि वो आतंकवाद का प्रयोग अपनी विदेशी नीति के एक साधन के रूप में करना नहीं छोड़ देता.

=== कविता - एक बरस बीत गया ===
=== कविता - एक बरस बीत गया ===


पंक्ति ७७: पंक्ति ८३:


* [http://www.gyanipandit.com/top-10-quotes-by-atal-bihari-vajpayee-in-hindi/ Atal Bihari Vajpayee Speech Slogan Quotes Sivichar In Hindi]
* [http://www.gyanipandit.com/top-10-quotes-by-atal-bihari-vajpayee-in-hindi/ Atal Bihari Vajpayee Speech Slogan Quotes Sivichar In Hindi]

* '''[http://www.gyanipandit.com/atal-bihari-vajpayee-biography-in-hindi/ अटल बिहारी वाजपेयी की जीवनी ]'''

१४:३३, १४ मार्च २०१६ का अवतरण

अटल बिहारी वाजपेयी

  • गरीबी बहुआयामी है. यह हमारी कमाई के अलावा स्वास्थय, राजनीतिक भागीदारी, और हमारी संस्कृति और सामाजिक संगठन की उन्नति पर भी असर डालती है.
  • भारत में भारी जन भावना थी कि पाकिस्तान के साथ तब तक कोई सार्थक बातचीत नहीं हो सकती जब तक कि वो आतंकवाद का प्रयोग अपनी विदेशी नीति के एक साधन के रूप में करना नहीं छोड़ देता.

कविता - एक बरस बीत गया

झुलासाता जेठ मास

शरद चांदनी उदास

सिसकी भरते सावन का

अंतर्घट रीत गया

एक बरस बीत गया


सीकचों मे सिमटा जग

किंतु विकल प्राण विहग

धरती से अम्बर तक

गूंज मुक्ति गीत गया

एक बरस बीत गया


पथ निहारते नयन

गिनते दिन पल छिन

लौट कभी आएगा

मन का जो मीत गया

एक बरस बीत गया



कविता - अपने ही मन से कुछ बोलें

क्या खोया, क्या पाया जग में

मिलते और बिछुड़ते मग में

मुझे किसी से नहीं शिकायत

यद्यपि छला गया पग-पग में

एक दृष्टि बीती पर डालें, यादों की पोटली टटोलें!


पृथ्वी लाखों वर्ष पुरानी

जीवन एक अनन्त कहानी

पर तन की अपनी सीमाएँ

यद्यपि सौ शरदों की वाणी

इतना काफ़ी है अंतिम दस्तक पर, खुद दरवाज़ा खोलें!


जन्म-मरण अविरत फेरा

जीवन बंजारों का डेरा

आज यहाँ, कल कहाँ कूच है

कौन जानता किधर सवेरा

अंधियारा आकाश असीमित,प्राणों के पंखों को तौलें!

अपने ही मन से कुछ बोलें!


बाह्य सूत्र