"भगवद्गीता": अवतरणों में अंतर

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'''कार्य प्रगति पर है'''
'''भगवद्गीता''', [[महाभारत]] के भीष्म पर्व का एक भाग है। इसे प्रायः 'गीता' कहा जाता है। इसमें वैदिक दर्शन, योगदर्शन, वेदान्त दर्शन और तांत्रिक दर्शन के कई पहलुओं का सार है। 'भगवद्गीता' का शाब्दिक अर्थ "भगवान का गीत" है। गीता अपने आप को एक 'उपनिषद' कहती है और कभी-कभी इसे 'ज्ञानोपनिषद' कहा जाता है।
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[[File:Bhagavata Gita Bishnupur Arnab Dutta 2011.JPG|thumb|right|एसटी [[सोल]] [[अनुभव]] इस शरीर में <br> बचपन, युवा, और वृद्धावस्था, <br> तो यह भी के शरीर को मानता है;<br>&mdash;अध्याय 2, श्लोक 13]]
भगवद गीता (देवनागरी लिपि में संस्कृत): भगवद्गीता, लिप्यंतरण में: भगवद गीता) एक है पद्य, १ -अध्याय का धार्मिक पाठ महाभारत के भीतर, भीष्म पर्व अध्याय २५-४२ में। हिंदू धर्म और भारतीय दर्शन का एक मुख्य पाठ, जिसे अक्सर "गीता" के रूप में संदर्भित किया जाता है, यह वैदिक, योगिक, वेदांत और तांत्रिक दर्शन के कई पहलुओं का एक सारांश है। भगवद् गीता, जिसका अर्थ है "भगवान का गीत", अपने आप को एक 'उपनिषद' के रूप में संदर्भित करता है और कभी-कभी इसे ज्ञानोपनिषद कहा जाता है। गीता के संदेश के दौरान, कृष्ण ने घोषणा की कि वह एक अवतार हैं, या एक भगवत्, सभी अवतार लेने वाले भगवान की उपस्थिति हैं। अर्जुन को इस बात पर विश्वास करने में मदद करने के लिए, वह अपने दिव्य रूप को प्रकट करता है जिसे कालातीत बताया गया है और।



==अध्याय 1==
==अध्याय 1==
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* धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः ।</br>मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ॥
* धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः ।
: मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ॥
: अर्थ - धृतराष्ट्र बोले - हे संजय ! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में एकत्रित,। युद्ध की इच्छा वाले मेरे और पांडु के पुत्रों ने क्या किया ? ॥१॥
** '' धर्मकतेरे कुरुकेत्रे समवेता युयुत्सव अम्ब्र्बु + मम्मक पाववśकैव किमकुर्वता सञ्जय ''

''' अर्थात् '''

धृतराष्ट्र बोले - हे संजय ! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में एकत्रित,। युद्ध की इच्छा वाले मेरे और पांडु के पुत्रों ने क्या किया ? ॥१॥
**** [[धृतराष्ट्र]]; अध्याय 1, कविता 1; [[रॉबर्ट चार्ल्स ज़ेहनर]][http://books.google.com/books?id=nY6PRhqdlJsC&lpg=PP1&dq=bhagavad%20gita%20Robert%20Charles%20Zaehner&pg=PR5#v=onepage&q=bhagavad%20gita%20Robert%20Charles%20Zaehner&f=false अनुवाद ]
* [[अब]] सेनाओं को देखते हुए [[w: पांडवों | पांडवों]] को युद्ध में खड़ा करके <br> <br> <br> [[w: दुर्योधन | राजा दुर्योधन]], अपने निकट आ रहा है [शिक्षक युद्ध का गठन
** संजया; अध्याय १, श्लोक २-३; [[w:ग्राहम एम श्वेग | ग्राहम एम। श्विग]]
[http://books.google.com/books?id=cKl8dLi1zNUC&lpg=PP1&dq=bhagavad%20gita&pg=PP17#v=onepage&q=bhagavad%20gita&f=false translation]

* [दुर्योधन ने कहा:] यह [[बल]] हमारा <br> <br> भीष्म द्वारा संरक्षित <br> <br> अबाध है; हालांकि यह बल, उनका - <br> <br> <br> भीम, बंधे हुए हैं।
** संजया; अध्याय 1; कविता 10; [[w: लॉरी एल। पैटन | लॉरी एल। पैटन]] अनुवाद

* [[w:Hrishikesha|Hrishikesha]] blew the conch shell named [[w:Panchajanya|Panchajanya]] and [[w:Dhananjaya|Dhananjaya]] blew the conch shell named Devadatta. [[w:Bhima|Vrikodara]], whose deeds give rise to fear, blew the giant conch shell named Poundra.
** Sanjaya; Chapter 1, verse 15; [[w:Bibek Debroy|Bibek Debroy]] [http://books.google.com/books?id=ClIAeo0HjS4C&lpg=PP1&dq=Bhagavad%20Gita&pg=PR4#v=onepage&q=Bhagavad%20Gita&f=false translation]

* all those<br>for whom i'd want<br>to live it up<br>are here to die
** Arjuna; Chapter 1, verse 33; [[w:Mani Rao|Mani Rao]] [http://books.google.com/books?id=vr3bmdIWQ0wC&lpg=PR2&dq=bhagavad%20gita%20mani%20rao&pg=PR11#v=onepage&q=bhagavad%20gita%20mani%20rao&f=false translation]

* And even if, because their [[minds]] are overwhelmed by [[greed]], ''they'' cannot see the evil incurred by destroying one's own family, and the degradation involved in the betrayal of a [[friend]],<br>How can ''we'' be so ignorant as not to recoil from this wrong? The evil incurred by destroying one's own family is plain to see, [[w:Janardana|Janardana]].
** Arjuna; Chapter 1, verses 38&ndash;39; W. J. Johnson translation

* What is this crime<br>I am planning, O Krishna?<br>Murder most hateful,<br>Murder of brothers!<br>Am I indeed<br>So greedy for greatness?
** Arjuna; Chapter 1, verse 45; [[w:Swami Prabhavananda|Swami Prabhavananda]] and [[Christopher Isherwood]] translation

* If me unresisting,<br>Weaponless, with weapons in their hands<br>Dhritarāshtra's men should slay in battle,<br>That would be a safer course for me.
** Arjuna; Chapter 1, verse 46; [[w:Franklin Edgerton|Franklin Edgerton]] [http://books.google.com/books?id=Y1guGAfGr6UC&lpg=PP1&dq=bhagavadgita%20franklin%20edgerton&pg=PP1#v=onepage&q=bhagavadgita%20franklin%20edgerton&f=false translation]


==इन्हें भी देखें==
* टी बैटल में स्क्वीकी अर्जुन <भाई> टी चार्ज के बॉक्स में नीचे, <br> लेक्टिंग फॉल हिज बो एंड एरॉयो, <br> ग्रिफ के साथ उनका दिल स्मोक्ड।
*[[महाभारत]]
** Sanjaya; Chapter 1, verse 47
*[[श्रीकृष्ण]]
("अध्याय में अंतिम कविता"); फ्रैंकलिन एज़र्टन अनुवाद

०७:००, ९ जनवरी २०२२ का अवतरण

भगवद्गीता, महाभारत के भीष्म पर्व का एक भाग है। इसे प्रायः 'गीता' कहा जाता है। इसमें वैदिक दर्शन, योगदर्शन, वेदान्त दर्शन और तांत्रिक दर्शन के कई पहलुओं का सार है। 'भगवद्गीता' का शाब्दिक अर्थ "भगवान का गीत" है। गीता अपने आप को एक 'उपनिषद' कहती है और कभी-कभी इसे 'ज्ञानोपनिषद' कहा जाता है।

अध्याय 1

  • धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः ।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय ॥
अर्थ - धृतराष्ट्र बोले - हे संजय ! धर्मभूमि कुरुक्षेत्र में एकत्रित,। युद्ध की इच्छा वाले मेरे और पांडु के पुत्रों ने क्या किया ? ॥१॥

इन्हें भी देखें