"राज्य": अवतरणों में अंतर
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अनुनाद सिंह (वार्ता | योगदान) '* नैव राज्यं न राजाऽऽसीन्न च दण्डो न दाण्डिकः। : धर्मेणैव प्रजाः सर्वा रक्षन्ति स्म परस्परम्॥ -- महाभारत (शान्तिपर्व) : अर्थ : न (उस समय) राज्य था न राजा था। न दण्ड था न दण्ड...' के साथ नया पृष्ठ बनाया |
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* सुखस्य मूलं धर्मः। धर्मस्य मूलमर्थः। अर्थस्य मूलं राज्यम्। राज्यस्य मूलमिन्द्रियजयः। (चाणक्य नीतिसूत्र) |
* सुखस्य मूलं धर्मः। धर्मस्य मूलमर्थः। अर्थस्य मूलं राज्यम्। राज्यस्य मूलमिन्द्रियजयः। (चाणक्य नीतिसूत्र) |
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: अर्थ : सुख का मूल (जड़) धर्म है। धर्म का मूल अर्थ (धन-सम्पत्ति, रुपया-पैसा, सोना-चाँदी आदि) है। अर्थ का मूल राज्य है। राज्य का मूल इन्द्रियों पर विजय है। |
: अर्थ : सुख का मूल (जड़) धर्म है। धर्म का मूल अर्थ (धन-सम्पत्ति, रुपया-पैसा, सोना-चाँदी आदि) है। अर्थ का मूल राज्य है। राज्य का मूल इन्द्रियों पर विजय है। |
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* स्टेटिज्म (Statism) एक कपोलकल्पित आदर्श है जो मानता है कि केवल सही मात्रा में, सही लोगों द्वारा और सही दिशा में उपयोग की गयी हिंसा समाज को पूर्ण बना सकती है। -- Keith Hamburger, as quoted in “The Myth of Limited Government: Anarchy Vs. Minarchy”, Jon Torres, Logical Anarchy, August 12, 2014 |
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* राज्य एक षड्यन्त्र है जो न केवल शोषण के लिये, अपितु अपने नागरिकों को भ्रष्ट करने के लिये भी बनाया गया है। लेव टॉलस्टॉय, Letter to Vasily Botkin |
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* "सफलता के लिये एक स्थिर राज्य चाहिये, स्थिर सरकार नहीं।" -- Karolina Vidović-Krišto, quoted in the morning talk-show Dobro jutro Hrvatska of the Croatian Radiotelevision, 13th May 2018 |
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==इन्हें भी देखें== |
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*[[अराजकता]] |
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*[[साम्राज्य]] |
०८:०५, ८ जनवरी २०२२ का अवतरण
- नैव राज्यं न राजाऽऽसीन्न च दण्डो न दाण्डिकः।
- धर्मेणैव प्रजाः सर्वा रक्षन्ति स्म परस्परम्॥ -- महाभारत (शान्तिपर्व)
- अर्थ : न (उस समय) राज्य था न राजा था। न दण्ड था न दण्ड देने वाला। धर्म से ही सारे लोग परस्पर रक्षा करते थे।
- राज्य तीन शक्तियों के अधीन है- मंत्र, प्रभव और उत्साह। -- (दशकुमारचरितम्)
- सुखस्य मूलं धर्मः। धर्मस्य मूलमर्थः। अर्थस्य मूलं राज्यम्। राज्यस्य मूलमिन्द्रियजयः। (चाणक्य नीतिसूत्र)
- अर्थ : सुख का मूल (जड़) धर्म है। धर्म का मूल अर्थ (धन-सम्पत्ति, रुपया-पैसा, सोना-चाँदी आदि) है। अर्थ का मूल राज्य है। राज्य का मूल इन्द्रियों पर विजय है।
- स्टेटिज्म (Statism) एक कपोलकल्पित आदर्श है जो मानता है कि केवल सही मात्रा में, सही लोगों द्वारा और सही दिशा में उपयोग की गयी हिंसा समाज को पूर्ण बना सकती है। -- Keith Hamburger, as quoted in “The Myth of Limited Government: Anarchy Vs. Minarchy”, Jon Torres, Logical Anarchy, August 12, 2014
- राज्य एक षड्यन्त्र है जो न केवल शोषण के लिये, अपितु अपने नागरिकों को भ्रष्ट करने के लिये भी बनाया गया है। लेव टॉलस्टॉय, Letter to Vasily Botkin
- "सफलता के लिये एक स्थिर राज्य चाहिये, स्थिर सरकार नहीं।" -- Karolina Vidović-Krišto, quoted in the morning talk-show Dobro jutro Hrvatska of the Croatian Radiotelevision, 13th May 2018