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हिन्दू राष्ट्रवाद

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मैं अब यह नहीं कहता कि राष्ट्रवाद एक पंथ है, एक सम्प्रदाय है, एक आस्था है; मैं कहता हूँ कि सनातन धर्म ही हमारे लिए राष्ट्रवाद है। यह हिंदू राष्ट्र सनातन धर्म के साथ पैदा हुआ, इसके साथ आगे बढ़ता है और इसके साथ ही बड़ा हुआ है। जब सनातन धर्म का पतन होता है, तो राष्ट्र का पतन होता है, और यदि सनातन धर्म नष्ट हो सकता, तो सनातन धर्म के साथ ही यह राष्ट्र भी नष्ट हो गया होता। सनातन धर्म, यही राष्ट्रवाद है। -- श्री अरविन्द घोष

हिन्दू राष्ट्रवाद भारतीय उपमहाद्वीप की मूल आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं पर आधारित सामाजिक और राजनीतिक विचार की अभिव्यक्ति है।

उद्धरण

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भूमि माता है और मैं पृथ्वी का पुत्र हूँ।
  • अत्रापि भारतं श्रेष्ठं जम्बूद्वीपे महागने।
यतोहि कर्म भूरेषा ह्यतोऽन्या भोग भूमयः॥
गायन्ति देवाः किल गीतकानि धन्यास्तु ते भारत-भूमि भागे।
स्वर्गापस्वर्गास्पदमार्गे भूते भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात् ॥ -- । विष्णुपुराण
  • कदा वयं हि लप्स्यामो जन्म भारत-भूतले।
कदा पुण्येन महता प्राप्यस्यामः परमं पदम्॥ -- भागवतपुराण
(देवता कह रहे हैं कि) हम भारत-भूमि पर कब जन्म लेंगे और कब महान पुण्य करके परम पद को प्राप्त होंगे?
  • अत्र ते कीर्तिष्यामि वर्ष भारत भारतम्
प्रियमिन्द्रस्य देवस्य मनोवैवस्वतस्य।
अन्येषां च महाराजक्षत्रियारणां बलीयसाम्।
सर्वेषामेव राजेन्द्र प्रियं भारत भारताम्॥ -- महाभारत, भीष्मपर्व
  • स्वाधीन वृत्तः साफल्यं न पराधीनवृत्तिता।
ये पराधीनकर्माणो जीवन्तोऽपि ते मृताः॥ -- गरुड पुराण
  • अपि स्वर्णमयी लङ्का न मे लक्ष्मण रोचते ।
जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी ॥ -- वाल्मीकि रामायण में रावणवध के पश्चात राम, लक्ष्मण से
अर्थ : हे लक्ष्मण ! यद्यपि यह लंका स्वर्णमयी है, तथापि मुझे इसमें रुचि नहीं है। (क्योंकि) जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी महान हैं।
  • राष्ट्रवाद क्या है? राष्ट्रवाद केवल राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है। राष्ट्रवाद तो एक धर्म है जो ईश्वर के पास से आया है और जिसे लेकर आपको जीवित रहना है। -- अरविन्द घोष, 'वन्दे मातरम्' पत्र में
  • राष्ट्रवाद कोरा राजनीतिक कार्यक्रम नहीं है; राष्ट्रवाद ऐसा धर्म है जो ईश्वर की देन है। राष्ट्रवाद तुम्हारी आत्मा का संबल है। -- श्री अरविंद, 1908 में अपने एक भाषण में
  • इस देश का नागरिक वही हो सकता है, जिसकी पितृ भूमि, मातृ भूमि और पुण्य भूमि भारत भूमि ही हो। -- विनायक दामोदर सावरकर, 'हिंदुत्व- हू इज हिंदू' में
  • इस जगत में यदि हम हिन्दू राष्ट्र के नाते स्वाभिमान का जीवन जीना चाहते हैं तो उसका हमें पूरा अधिकार है और वह राष्ट्र हिन्दुराष्ट्र के ध्वज के नीचे ही स्थापित होना चाहिए। इस पीढ़ी में नही तो अगली पीढ़ी में मेरी यह महत्वाकांक्षा अवश्य सही सिद्ध होगी। मेरी महत्वाकांक्षा गलत सिद्ध हुई तो पागल कहलाऊंगा मैं और यदि महत्वाकाँक्षा सही सिद्ध हुई तो भविष्यद्रष्टा कहलाऊंगा मैं। मेरा यह उत्तराधिकार मैं तुम्हें सौंप रहा हूँ। -- विनायक दामोदर सावरकर
  • हिंदुओं का सैनिकीकरण होना चाहिये क्योंकि 1857 के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन के बाद अग्रेजों ने हिन्दू सैनिकों को भारतीय राजनीति से दूर रखने की नीति अपनाई है। इसलिए हिन्दू सैनिकों में राजनीति करना हमारा प्रथम कर्तव्य है , तभी हम स्वतंत्रता का युद्ध जीत सकेंगे। -- विनायक दामोदर सावरकर
  • भारत में राष्ट्रवाद ने एक ऐसी सृजनात्मक शक्ति का संचार किया है जो सदियों से लोगों के अन्दर सुसुप्त पड़ी थी। -- सुभाष चन्द्र बोस
  • भारतीय राष्ट्रवाद मानव जाति के उच्चतम आदर्शों सत्यम्, शिवम्, सुन्दरम् से प्रेरित है। -- सुभाष चन्द्र बोस

सन्दर्भ

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इन्हें भी देखें

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