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==बाह्य सूत्र==
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* [http://www.hindisahityadarpan.in/2012/07/quotes-about-india-in-hindi.html भारत देश पर महापुरुषों के अनमोल विचार]
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१६:२०, १७ अक्टूबर २०१३ का अवतरण

गायन्ति देवाः किल गीतकानि धान्यास्तु ये भारतभूमिभागे।
स्वर्गापवर्गास्पदहेतुभूते भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात्।।

-- विष्णुपुराण (२।३।२४) (देवता गीत गाते हैं कि स्वर्ग और अपवर्ग की मार्गभूत भारत भूमि के भाग में जन्मे लोग देवताओं की अपेक्षा भी अधिक धन्य हैं। अर्थात् स्वर्ग और अपवर्ग (मोक्ष-कैवल्य) के मार्ग स्वरूप भारत-भूमि को धन्य धन्य कहते हुए देवगण इसका शौर्य-गान गाते हैं। यहां पर मनुश्य जन्म पाना देवत्व पद प्राप्त करने से भी बढकर है।)


एत देश प्रसूतस्य सकाशादग्र जन्मनः ।
स्वं स्वं चरित्र शिक्षेरन् पृथिव्यां सर्व मानवाः ।।

अर्थात एस देश में उत्पन्न अग्रजन्मा महापुरुषों के पास बैठ कर संसार भर के मानव अपने-अपने चरित्र की शिक्षा ग्रहण करें। क्योंकि यह “विश्व-गुरू” है।


यूनान मिश्र रोमन, सब मिट गए जहां से,
बाकी मगर है अब तक, नामो निशां हमारा
कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन, दौर ए जहां हमारा

-- मुहम्मद इक़बाल


भारत वस्तुत: विश्व पुरुष की कुंडलिनी शक्ति है। जब भारत जागृत होगा तो विश्व पुरुष का दिवता में रूपांतरण हो जाएगा। अगर भारत सो गया , न जागा तो विश्व-मानवता ही समाप्त हो जाएगी।
-- श्री अरविन्द


मैं भौगोलिक मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करता हूँ। मेरा भरत जड़ भारत नहीं है , अपितु वह ज्ञानलोक है , जिसका आविर्भाव ऋषियों की आत्मा में हुवा है।
-- गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर


प्रतिबद्ध मैक्समूलर को भी यह सत्य स्वीकारना पड़ा-
अगर कोई देश है जो मानवता के लिए पूर्ण और आदर्श है, तो एशिया की ओर ऊँगली उठाऊंगा जहाँ भारत है।


जैको लाइट ने ' बाइबिल इन इण्डिया ' में लिखा है-
भारत मानवता का पलना है। इसके ऊंचे हिमालय से ज्ञान-विज्ञानं की सरिताएँ निकली हैं। सृष्टि की उषा में इसका आंगन ज्ञान से आलोकित हुवा था। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि भारत का अतीत मेरी मातृभूमि के भविष्य में बदल जाए।


विल डूरण्ट ने ' सभ्यताओं के इतिहास ' में पश्चिम देशों को बताया है कि-
जब तुम भारत के सान्निध्य में आओगे तो तुम्हें अनश्वर शांति का दिव्य मार्ग मिलेगा।


प्रसिद्ध दार्शनिक शापेन हावर ने कहा था- जब यूरोप के लोग भरतीय दर्शन के सम्पर्क में आयेंगे तो उनके विचार और आस्थाएँ बदलेंगी। वे बदले हुवे लोग यूरोप के विचारों और विश्वास को प्रभावित करेंगे। आगे चलकर यूरोप में ही ईसाई-धर्म को संकट उत्पन्न हो जाएगा।

  • भारत में सब भिन्न अति, ताहीं सों उत्पात
विविध देस मतहू विविध, भाषा विविध लखात।

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