पर्वत
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पर्वत या पहाड़। धरती पर ऐसी प्राकृतिक संरचना जिसके किनारे बहुत तीव्र ढलान वाले होते हैं और ऊँचाई भी अधिक होती है।
उक्तियाँ
[सम्पादन]- शैले शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे गजे।
- साधवो न हि सर्वत्र चन्दनं न वने वने॥
- न प्रत्येक पर्वत पर मणि-माणिक्य ही प्राप्त होते हैं न प्रत्येक हाथी के मस्तक से मुक्ता-मणि प्राप्त होती है। साधु (सज्जन) हर जगह नहीं होते। हर वन में चन्दन नहीं होता।
- पर्वत कहता शीश उठाकर, तुम भी ऊँचे बन जाओ।
- सागर कहता है लहराकर, मन में गहराई लाओ।
- समझ रहे हो क्या कहती हैं उठ उठ गिर गिर तरल तरंग
- भर लो भर लो अपने दिल में मीठी मीठी मृदुल उमंग ॥